उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

छठ पूजा पर भी कोरोना का असर, मेले का नहीं होगा आयोजन - chhath puja in kashipur

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, छठ माता सूर्य देव की बहन हैं. जो इस पर्व पर सूर्य देव की उपासना से प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि से भर देती हैं. उन्होंने कहा कि काशीपुर क्षेत्र में छठ पूजा की शुरुआत 1978 में की गई थी.

chhath puja
छठ पूजा

By

Published : Nov 18, 2020, 3:01 PM IST

काशीपुर:देशभर के साथ-साथ इस वर्ष काशीपुर और आसपास के क्षेत्र में छठ पूजा पर कोरोना का असर देखा जा रहा है. छठ पूजा में आयोजन के लिए अनुमति नहीं ली गई है. घाटों की साफ-सफाई भी बीते वर्षों की तरह नहीं की जा रही है. कोरोना को देखते हुए घाटों पर कम से कम भीड़ हो इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.

बीते वर्ष तक नगर और आसपास के क्षेत्रों में छठ पर्व हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता रहा है. हजारों की संख्या में लोग छठ पूजा में शामिल हुआ करते थे. आलू फार्म घाट, चैती चौराहा घाट, मोटेश्वर मंदिर, हरियावाला और शुगर फैक्ट्री घाट समेत आसपास के सभी घाटों पर काफी लोग छठी मइया की पूजा-अर्चन किया करते थे. सूर्योदय के साथ ही भारी भीड़ उमड़ती थी. लेकिन इस बार कोरोना के कारण मेले की संभावना कम है. कोरोना के चलते आयोजक खतरा उठाने को तैयार नहीं है. घाटों की साफ-सफाई का कार्य चल रहा है. लेकिन बीते वर्ष की तरह भव्य तैयारियां नहीं देखी जा रही हैं.

बीते वर्ष आयोजन समिति में रह चुके दुर्गेश ने बताया कि इस बार अभी तक परमिशन नहीं ली गई है. छठ पूजा को लेकर सूचना भी बीते वर्ष की तरह नहीं दी जा सकी है. कोरोना के चलते भव्य और विशाल मेले का आयोजन शायद नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस वर्ष मुख्य छठ पर्व 20 को है. जबकि, 18 को छोटी छठ और 19 को बड़ी छठ है. वे अपनी श्रद्धा के चलते घाटों की साफ-सफाई तो करवा रहे हैं, लेकिन अभी तक परमिशन नहीं ली जा सकी है.

पढ़ें:मेरठ में भीषण विस्फोट, चार मकानों की छत उड़ी, कई घायल

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, छठ माता सूर्य देव की बहन हैं. जो इस पर्व पर सूर्य देव की उपासना से प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि से भर देती हैं. उन्होंने कहा कि काशीपुर क्षेत्र में छठ पूजा की शुरुआत 1978 में की गई थी. इसके बाद से यहां निरंतर छठ पूजन का आयोजन किया जा रहा है. पहले एक-दो स्थान पर छठ पूजा होती थी. अब शहर में नौ स्थानों पर छठ पूजन का आयोजन होता है. यह पर्व दीपावली के छठे दिन मनाया जाता है.

मान्यता है कि महिलाएं यह व्रत छठी मइया की कृपा से सूर्य के समान श्रेष्ठ संतान, धन-संपदा, सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं. व्रतधारी श्रद्धालु शाम को पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना करते हैं. इसके बाद अगले दिन सुबह चार बजे से पानी में खड़े होकर सूर्य देव के उदय होने पर उन्हें अर्घ्य देकर व्रत का परायण करते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details