रुद्रपुर: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लव जिहाद मामले में बड़ा बयान दिया है. सीएम रावत ने कहा कि सांप्रदायिकता की आड़ में लव जिहाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मुख्य सचिव को टिहरी के समाज कल्याण अधिकारी की जांच करने का आदेश दिए गए हैं क्योंकि समाज कल्याण अधिकारी को ऐसे किसी भी पत्र को जारी करने का अधिकार नहीं है.
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. लव जिहाद की आड़ में आतंकवाद फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सरकार सख्ती से निपटेगी. उन्होंने कहा कि लव जिहाद को रोकने के लिए सरकार द्वारा धर्म स्वतंत्र कानून बनाया गया है. इस कानून के जरिए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बड़ा बयान. ये भी पढ़ें:लव जिहाद के आरोप से डरी सरकार, अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना में करेगी संशोधन
उत्तराखंड में धर्म स्वतंत्रता कानून
सीएम ने बताया कि यदि बलपूर्वक धर्म परिवर्तन का मामला पकड़ में आया तो एक वर्ष से लेकर पांच वर्ष तक जेल भेजा जा सकेगा. अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के मामले में न्यूनतम दो वर्ष की जेल व जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है. धर्म परिवर्तन कानून का उल्लंघन होने पर धर्म परिवर्तन को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा. यही नहीं, धर्म परिवर्तन के लिए एक महीने पहले जिला प्रशासन को सूचित करना होगा.
2014 में कांग्रेस सरकार के समय पर किया गया संशोधन. धर्म स्वतंत्रता कानून बनने के बाद उत्तराखंड में धोखे से धर्म परिवर्तन को अपराध घोषित हो गया है. ऐसे मामलों में मां-बाप या भाई-बहन की ओर से मुकदमा दर्ज कराया जा सकेगा. खासतौर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन के अंदेशे को देखते हुए करीब दोगुनी सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
यदि धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से विवाह किया गया तो उस धर्म परिवर्तन को अमान्य घोषित किया जाएगा. धर्म परिवर्तन के लिए जिला मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक माह पहले शपथपत्र देना होगा. धर्म परिवर्तन के लिए समारोह की भी पूर्व सूचना देनी होगी. सूचना नहीं देने की स्थिति में इसे अमान्य करार दिया जाएगा.
दरअसल, उत्तराखंड में एक आदेश पर विवाद पैदा हो गया है. टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल द्वारा हस्ताक्षरित एक आदेश में कहा गया है कि 'राष्ट्रीय एकता की भावना को जीवित रखने और सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए अंतरजातीय तथा अंतर धार्मिक विवाह काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं'. जिसके बाद प्रदेश में अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है. सोशल मीडिया पर 'लव जिहाद' के आरोप लगने के बाद उत्तराखंड सरकार अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना में संशोधन करने जा रही है.
जिला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा दिया गया आदेश पत्र. इसके साथ ही 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह को प्रोत्साहन प्रदान करने संबंधी नियमावली में संशोधन वाले पत्र पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. इन दोनों पत्रों के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सरकार पर 'लव जिहाद' को बढ़ाना देने के आरोप लगने लगे हैं. विवाद बढ़ता देख अब उत्तराखंड सरकार ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश को इस योजना में संशोधन करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया कोऑर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत ने बताया कि इस योजना को साल 2014 में संशोधित कर नया शासनादेश जारी किया गया था, जिसमें अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह पर 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया गया था लेकिन अब उत्तराखंड सरकार इसमें बदलाव करने जा रही है. इस ऑर्डर से मात्र अंतर धार्मिक विवाह के मसले को हटा दिया जाएगा बाकी यह योजना पहले जैसी ही रहेगी.