खटीमाःउत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के तहत खटीमा में सीएम पुष्कर सिंह धामी का चुनाव प्रचार जारी है. साथ ही सीएम धामी जनता के बीच जाकर सरकार की उपलब्धियां और पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के बीच के अंतर को गिना रहे हैं. इस बीच कांग्रेस के मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाले शिगूफे पर भी सीएम धामी ने पलटवार किया है.
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमने सबके लिए स्कूल, अस्पताल, हाईवे बनाए हैं. लेकिन कांग्रेस कह रही है कि सत्ता में आने पर वे मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाएंगे. उन्होंने कहा कि हम इस प्रकार की वोट की राजनीति नहीं करते हैं. हम 'सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास' में विश्वास करते हैं.
मुस्लिम यूनिवर्सिटी मुद्दे पर CM धामी का पलटवार. ये भी पढ़ेंः कांग्रेस को मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर घेरने के फेर में खुद फंसी BJP, धन सिंह रावत का मस्जिद वीडियो बना गले की फांस
उन्होंने कहा कि देश में कोने-कोने में मोदी सरकार मंदिर बना रही है. लेकिन कांग्रेस वर्ग विशेष का वोट लेने के लिए, देश की आजादी के बाद से लेकर अब तक जो काम करती रही है, वही काम फिर से दोहराने लगी है. सीएम धामी ने कहा कि कांग्रेस कह रही है कि हम देवस्थानम, अस्पताल, स्कूल नहीं बनाएंगे. सड़कों, सैनिकों से हमारा कोई लेना देना नहीं है. कांग्रेस कह रही है कि सरकार में आएंगे तो सबसे पहले मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाएंगे.
सीएम धामी ने कहा कि वह किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं हैं, वह सबका सम्मान करते हैं. उत्तराखंड में राम भक्त और राष्ट्र भक्त बीच ये वोटों की राजनीति करना ठीक नहीं है. जो काम होना चाहिए, वह सबके लिए होना चाहिए.
यहां से उठा मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा: दरअसल, उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में अकील अहमद कह रहे है कि उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुस्लिम छात्रों के लिए एक विश्वविद्यालय बनाया जाएगा. इसीलिए उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया.
बता दें कि देहरादून जिले की सहसपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने आर्येंद्र शर्मा को टिकट दिया है. इसी से नाराज होकर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद ने निर्दलीय नामांकन किया था, लेकिन हरीश रावत के कहने पर ही 31 जनवरी को उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है. अकील अहमद ने कहा कि उन्होंने नामांकन वापस लेने के लिए हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने की बात कही थी, जिस पर हरीश रावत ने सहमति जताई और उन्हें भरोसा दिया. हालांकि बाद में जब ये मुद्दा उत्तराखंड की राजनीति में उठा और कांग्रेस को बीजेपी ने घेरना शुरू कर दिया तो अकील अहमद ने ईटीवी भारत के साथ अपनी सफाई पेश की थी.
अकील अहमद की सफाई: वायरल वीडियो वाले बयान पर अकील अहमद ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने के लिए बात जरूर की है, लेकिन हरीश रावत ने उनसे कोई वादा नहीं किया है. अकील अहमद ने कहा कि राज्य में 18 प्रतिशत मुस्लिम हैं. उनके लिए यूनिवर्सिटी बननी चाहिए. हालांकि कांग्रेस ने इस पर कोई सहमति नहीं जताई है. इसके बावजूद इस बयान पर विवाद गहराने लगा है. वहीं अब हरीश रावत दावा कर रहे है कि कांग्रेस के किसी भी नेता ने उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग नहीं है. जबकि अकील अहमद उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष है.