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सियासत: जिन पर लगाए थे कभी हत्या के आरोप, आज उन्हें से गलबहियां कर मांग रहे वोट

वर्ष 2006 में बाजपुर विधानसभा क्षेत्र में चीनी मिल निवासी मूर्ति देवी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद मूर्ति देवी के पुत्र राजकुमार ने मौजूदा सरकार में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे समेत कई लोगों के खिलाफ पुलिस को अपनी मां की हत्या के मामले में तहरीर दी थी. वहीं, अब भाजपा चेयरमैन प्रत्याशी ने जिन पर अपनी मां की हत्या का आरोप लगाया था उन्हीं के साथ वोट मांगते दिखाई दे रहे हैं.

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Published : Jul 7, 2019, 4:55 PM IST

सियासत ने कुचली रिश्तों की डोर.

काशीपुर: कहा जाता है राजनीति में कोई स्थाई दोस्त और दुश्मन नहीं होता है. सियासत कब रंग बदल दें कुछ कहा नहीं जा सकता है. कुछ ऐसा ही नजारा बाजपुर नगर पालिका चुनाव में देखने को मिल रहा है. जहां भाजपा चेयरमैन प्रत्याशी ने जिन पर अपनी मां की हत्या का आरोप लगाया था उन्हीं के साथ वोट मांगते दिखाई दे रहे हैं. जिसे विपक्षी नहीं पचा पा रहे हैं.

बता दें कि वर्ष 2006 में बाजपुर विधानसभा क्षेत्र में चीनी मिल निवासी मूर्ति देवी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद मूर्ति देवी के पुत्र राजकुमार ने मौजूदा सरकार में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे समेत कई लोगों के खिलाफ पुलिस को अपनी माता की हत्या के मामले में तहरीर दी थी. जिस पर बाजपुर कोतवाली पुलिस ने अरविंद पांडेय, अमर पांडेय, जगदीश पांडेय, किसान पांडेय, जयप्रकाश समेत एक दर्जन लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था.

आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए राजकुमार ने न्यायालय के लिए 13 वर्ष तक लंबी जंग लड़ी. लेकिन समय ने करवट बदली और भाजपा ने राजकुमार को नगर पालिका अध्यक्ष पद प्रत्याशी बनाया है. भाजपा प्रत्याशी राजकुमार इस चुनाव में जिन पर उन्होंने मां की हत्या का आरोप लगाया था. अब वे उन्हीं के साथ वोट मांगते दिखाई दे रहे हैं.

कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे भी सब कुछ भुलाकर प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं.

जब इस मामले में पूर्व सांसद बलराज पासी से बात की तो उन्होंने कहा कि राजकुमार वर्ष 2006 में विपक्षी पार्टी में थे, जिसके चलते राजकुमार ने अरविंद पांडे को फंसाने के लिए साजिश रची थी. राजकुमार के भाजपा में आने से अरविंद पांडे और राजकुमार के बीच अब कोई मतभेद नहीं रहा है.

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वहीं, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने बताया कि टिकट और चुनाव जीतने के लिए राजकुमार ने अपनी माता की हत्या के आरोपियों से सौदेबाजी कर माफ कर दिया है. ऐसा व्यक्ति चेयरमैन की सीट पर बैठने के काबिल नहीं है.

बहरहाल, राजकुमार और अरविंद पांडे की दुश्मनी किसी से छुपी नहीं है, जिसका नतीजा है कि दोनों के बीच जुबानी जंग कई बार देखने को मिली है. लेकिन इतना सब होने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी राजकुमार ने अरविंद पांडे से हाथ मिला लिया है. यह सब कुछ देख कर विपक्षी पार्टी भी दोनों के बीच हुए समझौते को पचा नहीं पा रही हैं.

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