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टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से बोटिंग प्वाइंट तक जाने वाला रास्ता पानी में डूबा

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Published : Oct 18, 2019, 5:17 PM IST

टिहरी झील का जल स्तर बढ़ने से बोटिंग प्वाइंट तक जाने वाला रास्ता पानी में डूब गया है, लेकिन टाडा के अधिकारियों की लापरवाही के चलते पर्यटकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

टिहरी

टिहरी: जनपद की टिहरी झील पर्यटन के क्षेत्र भले ही आज अपनी अलग पहचान बना रही हो, बोटिंग और वॉटर स्पोर्टस के शौकीन यहां पहुंच रहे हों, लेकिन झील तक पहुंचने के लिए उन्हें अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है. जिससे पर्यटन को बढ़ावा देने की शासन-प्रशासन की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं.

पर्यटकों की जान जोखिम में डाल रहा है विभाग

42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी झील में बोटिंग शुरू होने के बाद से लहरों के रोमांच और वाटर एडवेंचर स्पोर्टस का शौक रखने वाले पर्यटक दूर-दराज से यहां पहुंच रहे हैं. टिहरी झील में बोटिंग के साथ ही वो जेट स्की, बनाना राइड, पैरासेलिंग, स्कीइंग सहित कई तरह के वॉटर स्पोर्टस का मजा उठा रहे हैं, लेकिन पर्यटको को झील तक पहुंचने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है.

टिहरी झील का जल स्तर बढ़ने से बोटिंग प्वाइंट तक जाने वाला रास्ता पानी में डूब गया है. जिससे लकड़ी के फट्टों और बेंच के जरिए उन्हें बोट तक पहुंचना पड़ रहा है. सुरक्षित रास्ता और जेटी नहीं होने से जहां कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है, जिसमें पर्यटक बाल-बाल बचे हैं.

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टिहरी झील में पर्यटन गतिविधियों और सुविधाओं का जिम्मा टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण (टाडा) के पास है. टाडा बोट संचालकों से 60 हजार रुपये प्रतिवर्ष और 15 रुपये प्रति टिकट पर वसूलता है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया जाता. बोट संचालकों द्वारा भी टाडा से कई बार अतिरिक्त जेट बोट्स की मांग की है, लेकिन विभाग द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है.

टिहरी झील को पर्यटन का हब बनाने वाले दावे हवाई साबित हो रहे हैं और पर्यटकों की जान से खिलवाड़ कर रहे टाडा के अधिकारियों की लापरवाही साफ तौर पर दिखाई दे रही है. ऐसे में कैसे टिहरी झील में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा ये एक बड़ा सवाल है?

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