टिहरी: जनपद की टिहरी झील पर्यटन के क्षेत्र भले ही आज अपनी अलग पहचान बना रही हो, बोटिंग और वॉटर स्पोर्टस के शौकीन यहां पहुंच रहे हों, लेकिन झील तक पहुंचने के लिए उन्हें अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है. जिससे पर्यटन को बढ़ावा देने की शासन-प्रशासन की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं.
42 वर्ग किलोमीटर में फैली टिहरी झील में बोटिंग शुरू होने के बाद से लहरों के रोमांच और वाटर एडवेंचर स्पोर्टस का शौक रखने वाले पर्यटक दूर-दराज से यहां पहुंच रहे हैं. टिहरी झील में बोटिंग के साथ ही वो जेट स्की, बनाना राइड, पैरासेलिंग, स्कीइंग सहित कई तरह के वॉटर स्पोर्टस का मजा उठा रहे हैं, लेकिन पर्यटको को झील तक पहुंचने के लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है.
टिहरी झील का जल स्तर बढ़ने से बोटिंग प्वाइंट तक जाने वाला रास्ता पानी में डूब गया है. जिससे लकड़ी के फट्टों और बेंच के जरिए उन्हें बोट तक पहुंचना पड़ रहा है. सुरक्षित रास्ता और जेटी नहीं होने से जहां कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है, जिसमें पर्यटक बाल-बाल बचे हैं.