टिहरी: टिहरी बांध बनने से टिहरी वासियों को फायदा हुआ तो दूसरी तरफ नुकसान भी हुआ. 15 साल से पहले टिहरी बांध का निर्माण हुआ. लेकिन तब से टिहरी बांध की झील के आस-पास के गांवों के लिए श्मशान घाट नहीं बन पाया है. ये हालत तब है जब नदी किनारे शवों का दाह संस्कार करते हुए कई घटनाएं घट चुकी हैं. बावजूद इसके THDC व पुनर्वास विभाग लोगों की मांग पर चुप्पी साधे बैठे हैं.
15 साल पहले टिहरी बांध का निर्माण हुआ तो 42 वर्ग किलोमीटर तक टिहरी बांध की झील बन गई. इस दौरान लोगों के शव गृह भी झील में डूब गए. अब लोगों को झील के किनारे ही शवों का दाह संस्कार करना पड़ता है. सबसे ज्यादा प्रभावित इससे रौलाकोट गांव के ग्रामीण हैं. क्योंकि रौलाकोट गांव के नीचे नदी किनारे पालेंन नाम की जगह पर एक पैतृक श्मशान घाट हुआ करता था, जिसमें रेका पट्टी के 42 गांवों के लोग शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए जाते थे. लेकिन टिहरी झील बनने के बाद अब ग्रामीणों को झील के किनारे ही जान जोखिम में डालकर शवों का अंतिम संस्कार करना पड़ता है.