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थोड़ी सी मेहनत में कर दिखाया बड़ा 'काम', खेतों में लहलहा रही केसर की फसल - Saffron Cultivation tehri

टिहरी के रहने वाले विजय सेमल्टी ने अपनी एक नाली जमीन में केसर की खेती की है. साथ ही उन्होंने प्रवासियों से भी केसर की खेती करने की अपील की है. जिससे वे घर पर ही रोजगार पैदा कर सकते हैं.

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खतों में लहलहा रही केसर की खेती

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Published : May 30, 2020, 7:41 PM IST

Updated : May 30, 2020, 9:15 PM IST

टिहरी:जम्मू-कश्मीर की हसीन वादियों में उगने वाली केसर की खेती अब देवभूमि में लहलहाने लगी है. टिहरी जिले के चंबा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत सेमलटा निवासी विजय राम सेमल्टी ने यह कर दिखाया है. मेहनत और लगन से उन्होंने अपनी जमीन पर केसर की खेती की है. साथ ही उन्होंने प्रवासियों से भी केसर की खेती करने की अपील की है. जिससे वे घर पर ही रोजगार पैदा कर सकते हैं.

विजय सेमल्टी का कहना है कि वो केसर का बीज बाहर से लाए थे. जिसका प्रयोग उन्होंने अपने खेत में किया और वहां पर अब केसर के पौधे उगने लगे हैं. उन्होंने बताया कि उनके खेत में आधा किलो केसर हो गई है. केसर की खेती करने में उनको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और इसको सूअर और बंदर भी नहीं खाते. उन्होंने कहा कि वो आगे बड़े स्तर पर केसर की खेती करेंगे. जिससे लोगों को स्वरोजगार भी मिलेगा.

खतों में लहलहा रही केसर की खेती

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गौर हो कि केसर को मसालों में सबसे महंगा माना जाता है. केसर अब सिर्फ कश्मीर में ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में भी उगाया जाएगा. उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में सालभर जमकर बर्फबारी होती है. जिसे कश्मीर से कम नहीं आंका जा सकता है और प्रदेश की जलवायु भी केसर के लिए काफी उपयुक्त है. वहीं विशेषज्ञों के अनुसार केसर की खेती के लिए समुद्र तल से लगभग 2200 से 3000 मीटर की ऊंचाई काफी अनुकूल मानी जाती है.

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लेकिन सरकार की उदासीनता से आज तक इस दिशा में कार्य नहीं हो सका. जिससे केसर की खेती की ओर काश्तकारों का रुझान नहीं गया. लेकिन बाजार में केसर के अच्छे दाम और विजय राम सेमल्टी की मेहनत ने इस बार इस दिशा में प्रयास करने के लिए एक पहल शुरू कर दी है. जिससे देवभूमि में भी केसर की खेती को पंख लग सके. जहां कोरोना महामारी के दौर में प्रवासी अपने गांव लौट आए हैं ऐसे में सरकार को प्रयास करने चाहिए जिससे केसर की खेती के लिए काश्तकारों को बढ़ावा दिया जाए.

वहीं लॉकडाउन में सरकार के पास किसानों की हालत सुधारने का ये अच्छा मौका है और सरकार को अब किसानों को भी बीज और बाजार उपलब्ध कराने पर विचार करना चाहिए. अगर ऐसा हुआ तो उत्तराखंड की धरती किसानों की बेबसी नहीं समृद्धि के लिए जानी जाएगी.

Last Updated : May 30, 2020, 9:15 PM IST

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