टिहरी:आंखों में आत्मविश्वास की चमक, चेहरे पर मासूमियत और इरादे चट्टान की तरह बुलंद, हाथों में ढोल लिए तेज थाप देती महिला.. जिस किसी ने भी इस महिला को देखा वो इसका कायल हो गया. ढोल बजाती ये महिला पुरुषों के वर्चस्व को भी चुनौती दे रही है. ढोल वादन की पंरपरा को तोड़ते हुए इस महिला ने समाज के लिए एक नई मिसाल कायम की है. इलाके की इस इकलौती महिला ढोलवादक का नाम ऊषा है जो इन दिनों पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई हैं.
टिहरी जिले के सत्यो सकलानी पट्टी के हटवाल गांव की रहने वाली 30 वर्षीय महिला ऊषा ने ढोल वादन कर पिढ़ियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ा है. जहां आम तौर पर महिलाएं ढोलवादन से दूर रहती हैं वहीं ऊषा ने इसे परिवार की आर्थिकी का सहारा बनाया है. ऊषा ने सारे मिथकों को तोड़कर अन्य महिलाओं के लिये संभावनाओं के द्वार खोले हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में ऊषा ने बताया कि उन्हें तबला वादन में शुरू से ही रुचि थी. फिर धीरे-धीरे उन्होंने ढोल सीखा. जिसके बाद उन्होंने ढोल बजाना शुरू किया. परिणामस्वरूप वे शादी-समारोह, नवरात्री, हरियाली जैसे कई कार्यक्रमों में ढोल बजाती हैं. उन्होंने बताया कि वे पिछले 10 सालों से ढोल बजा रही हैं.