पुरोला: रवांईं बसंत महोत्सव व विकास मेला पुरोला बाजार की जात्रा का चौथा दिन देवी देवताओं के जागर के नाम रहा. पद्मश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण ने जागर गाकर मेले में चार चांद लगाए दिए. इस दौरान कई लोगों पर देवता भी अवतरित हुए. प्रीतम भरतवाण ने बताया कि जागर गाने की प्रेणा उन्हें पुरोला घाटी से मिली है. यहीं पर उनका बचपन बीता है.
मिनी स्टेडियम में आयोजित बसंत महोत्सव एवं विकास मेले में कार्यक्रम का उद्घाटन क्षेत्रीय विधायक राजकुमार ने किया. इस मौके पर विधायक राजकुमार ने कहा कि यह मेला हमारी पौराणिक संस्कृति और धरोहर की पहचान हैं. जिनको हमें संरक्षित रखना चाहिए. मेलों के माध्यम से ही जीवंत संस्कृति देखने को मिलती है. मेला में खेलों का आयोजन समय-समय पर होता रहना चाहिए.
वहीं, मेले में प्रीतम भरतवाण के जागर को सुनने के लिए भारी जनसैलाब उमड़ पड़ा. प्रीतम भरतवाण ने जय भगवती जय राजराजेश्वरी की स्तुति की. प्रीतम ने कार्यक्रम की शुरुआत लोकगीतों से की. हम कुशल छ माजी दगड़ियों दगड़ी, फूली जाली डाली मोरी रखिया खोली, जैसे लोकगीत पर दर्शकों ने खूब ठुमके लगाए. वहीं, इस दौरान राजराजेश्वरी एवं पांडव जागर पर कई महिलाएं अवतरित होकर नाचने लगी.
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प्रीतम भरतवाण ने पुरोला से अपना पुराना नाता बताते हुए कहा कि जागर गाने की प्रेरणा उन्हें इस घाटी से मिली है. क्योंकि उनका बचपन यहीं गुजरा है और यहां के लोगों से उन्हें जागर गाने की प्रेरणा मिली है. यह पांडवों की कर्मभूमि है, जहां देवी देवता हर जागर पर अपना अहम रोल निभाते है. ढोल सागर पर यहां हर शुभ परंपरा निभाई जाती है. ये देवताओं की भूमि है.