टिहरीः जिला अस्पताल बौराड़ी को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड (पीपीपी) पर दिये जाने की कार्रवाई के बाद हालात बदतर होते जा रहे हैं. स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट और प्रदेश सरकार के बीच तालमेल नहीं होने से मरीजों को सुविधा नहीं मिल पा रही है. बीते जनवरी में पीपीपी मोड पर अस्पताल का संचालन शुरू किया जाना था, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही सुविधा नहीं मिलने से मरीज शहर के अन्य अस्पतालों की ओर रुख करने को मजबूर हैं.
बता दें कि बीते जनवरी से पहले तक जिला अस्पताल बौराड़ी का संचालन राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधीन था. इस दौरान अस्पताल में विभाग के 28 डॉक्टर के साथ करीब 115 कर्मचारी और स्टाफ कार्यरत थे, लेकिन स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट के अधीन किए जाने के बाद वे भी असमंजस की स्थिति में हैं. साथ ही सरकार ने यहां पर तैनात कई डॉक्टरों को रिलिव कर दिया है. पहले यहां पर इलाज करवाने के लिए जिले के प्रतापनगर, घनसाली, छाम, कोटेश्वर, जाखणीधार, चंबा और अन्य क्षेत्रों से मरीज पहुंचते थे. साथ ही मरीजों का ऑपरेशन से लेकर पूरा इलाज सुचारू रूप से होता था, लेकिन अब पीपीपी मोड पर दिये जाने से हालात बदतर हो गए हैं. मरीजों को इलाज के लिए देहरादून, ऋषिकेश, दिल्ली समेत अन्य अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ रहा है.
स्थानीय निवासियों और मरीजों का कहना है कि जिला अस्पताल को स्वामी राम हिमालयन अस्पताल जॉलीग्रांट के अधीन किए जाने से मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है. स्थानीय निवासी राकेश राणा ने बताया कि अभी तक सरकार के हाथ में होने से मरीजों को इलाज कराने में सुविधा मिल रही थी. साथ ही कहा कि अस्पताल के हालात नहीं सुधरे तो आगामी लोकसभा चुनाव में जनता इसका जवाब देगी.