टिहरीः कहते हैं कि उगते सूरज को सब सलाम करते हैं. कुछ ऐसा ही महान संत स्वामी रामतीर्थ के साथ भी हो रहा है. जिन्होंने 118 साल पहले पुरानी टिहरी में भागीरथी और भिलंगना नदी का संगम के पास सिमलासू के तट पर जल समाधि ली. लेकिन महान संत स्वामी रामतीर्थ की एक मूर्ति पुरानी जो पहले टिहरी में स्थित थी और बांध बनने के बाद इस मूर्ति को 2005 में नई टिहरी की कोटी कॉलोनी में स्थापित किया गया, लेकिन रखरखाव के अभाव में अब ये मूर्ति बदहाल स्थिति में है. जिसकी कोई सुध नहीं ले रहा.
वर्तमान समय में टिहरी झील के किनारे कोटी-कॉलोनी के पास स्थित महान संत स्वामी रामतीर्थ की मूर्ति की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिससे आज यह पुरानी टिहरी की धरोहर टूटने की कगार पर है. इतना ही नहीं मूर्ति कई जगहों से क्षतिग्रस्त हो गई है. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार महिपाल नेगी ने बताया कि यह हमारे समाज के लिए दुर्भाग्य की बात है कि हम लोग महान संत स्वामी रामतीर्थ की मूर्ति का संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं. स्वामी रामतीर्थ ने गंगा और हिमालय पर कई ग्रंथ लिखे थे. आज उनकी सुध नहीं ली जा रही है.
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