टिहरी:आज हम आपको ऐसे पत्थर से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो ताकत से नहीं बस अंगुली से हिलता है. हो गए न हैरान. जी हां देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी जनपद के सेम मुखेम मंदिर के पास एक ऐसा विशालकाय पत्थर है. जिसके आगे विज्ञान भी नतमस्तक है. वहीं इस चमत्कार को लोग आस्था से जोड़कर देखते हैं. आज हम ऐसे विशालकाय पत्थर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे देखकर आप भी दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे.
ईटीवी भारत की टीम उस राज से पर्दा उठाने के लिए टिहरी प्रतापनगर के अंतर्गत ऊंची पहड़ियों पर स्थित भगवान श्री कृष्ण तपोस्थली सेम मुखेम के समीप ढुगढुगी धार पहुंची. 7 हजार फीट की ऊंचाई पर सेम मुखेम में भगवान श्री कृष्ण नागराज के स्वरूप में विराजमान हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 6 किमी की खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ती है.
पत्थर को देखने दूर-दूर से आते हैं लोग. ये भी पढ़ेंःद्वारिका डूबने के बाद देवभूमि के इस स्थान पर अवतरित हुए थे भगवान श्रीकृष्ण
मंदिर पहुंचने के बाद भी इस चमत्कारी पत्थर को देखने के लिए लोगों को एक किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. जहां पहुंचकर हर श्रद्धालु इस चमत्कारी पत्थर का दीदार करना चाहते हैं. साथ ही पत्थर पर जोर-आजमाइश करना नहीं भूलते. ढुगढुगी धार में स्थित इस पत्थर की खासियत ये है कि इस पर कितना भी जोर लगाने के बाद भी नहीं हिलता, लेकिन जैसे ही आप अंगुली से जोर लगाते हैं तो ये विशालकाय पत्थर हिलने लगता है.
इसे लोग आस्था की नजर से देखते हैं. स्थानीय लोग इसे भीम का पत्थर भी मानते हैं. सेम मुखेम मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है. जिसका जनश्रुतियों के साथ-साथ धार्मिक ग्रन्थों में भी उल्लेख मिलता है. इस रिपोर्ट का मकसद अंधविश्वास को बढ़ाना नहीं है.