टिहरी:श्रीदेव सुमन ने टिहरी राजशाही के खिलाफ 84 दिन की ऐतिहासिक भूख हड़ताल करके 25 जुलाई के दिन अपने प्राणों की आहुति दी थी. राजशाही के चंगुल से टिहरी की प्रजा को आजाद कराने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी श्रीदेव सुमन को उनके बलिदान दिवस पर आज याद किया गया. जिले में जगह-जगह इसके लिए कार्यक्रम आयोजित किये गये. उनके इस बलिदान दिवस के दिन विजिटर्स को टिहरी जेल में रखी उनकी बेड़ियों को दिखाया गया.
श्रीदेव सुमन को यातना देने के लिए 35 सेर की बेड़ियां तब पहनाई गई थी, जब राजशाही के खिलाफ आंदोलन करने पर उन्हें टिहरी जेल में बंद कर दिया गया था. जेल में रहते हुए भी उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखते हुए अनशन किया. 84 दिन की भूख हड़ताल के दौरान 25 जुलाई 1944 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीदेव सुमन शहीद हो गए. तब से हर वर्ष शहादत दिवस पर उन्हें याद किया जाता है.
श्रीदेव सुमन को टिहरी राजशाही से आजादी के लिए 84 दिनों तक तिल तिल करके मरना पड़ा. उनकी रोटियों में कांच कूट कर डाला गया और उन्हें वो कांच की रोटियां खाने को मजबूर किया गया. बेइंतहा अत्याचार के आगे भी श्रीदेव की आवाज को टिहरी रियासत दबा न सकी. आज भी देवभूमि की फिजा में इस आंदोलनकारी की गाथा सुनने के लिए मिल जाती है. जिला कारागार के पास ही श्रीदेव सुमन कक्ष बनाया गया है. लोग बड़ी संख्या में वहां पहुंचकर अमर शहीद श्रीदेव सुमन को श्रद्धासुमन अर्पित कर जेल में यातना देने के लिए उन्हें पहनाई गई बेड़ियों के दर्शन कर राजशाही की क्रूरता के गवाह बनते हैं.
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बता दें कि श्रीदेव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को टिहरी के जौल गांव में हुआ था. ब्रिटिश हुकूमत और टिहरी की अलोकतांत्रिक राजशाही के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे श्रीदेव सुमन को दिसंबर 1943 को टिहरी की जेल में डाल दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल करने का फैसला किया. 209 दिनों तक जेल में रहने और 84 दिनों की भूख हड़ताल के बाद श्रीदेव सुमन का 25 जुलाई 1944 को निधन हो गया.