टिहरीः स्कूली बच्चों के बैग का बोझ कम करने के लिए नरेंद्रनगर में रहने वाले एक समाजसेवी ने अनोखी पहल शुरू की है. सत्य सिंह रावत बाजार में हाथों में तख्ती लेकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं. उन्होंने हाथ में जो तख्ती पकड़ी है उस पर 'बच्चों का बस्ता हल्का करो' लिखा हुआ है.
बस्ता हल्का करने की अनोखी पहल समाजसेवी ने शुरू की. समाजसेवी सत्य सिंह रावत का कहना है कि स्कूली बच्चों के बस्ते के वजन को कम किया जाना चाहिए. क्योंकि, बच्चों की रीड की हड्डी में वजन बढ़ने के कारण उनकी शारीरिक वृद्धि नहीं हो पा रही है एवं उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन दिखाई दे रहा है.
उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को होमवर्क अधिक दिए जाने के कारण बच्चों के मानसिक संतुलन पर भी असर पड़ रहा है. बच्चों के बस्तों में अनावश्यक किताब कॉपी का वजन होने के कारण बच्चों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है.
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में कई माफिया तंत्र सक्रिय हैं. इसमें एक किताब माफिया भी हैं जो हर वर्ष नई नई किताबों को पाठ्यक्रम में लाते हैं जिनका बोझ मासूम बच्चों को उठाना पड़ता है.
रावत ने कहा कि बच्चों को स्कूली किताब कॉपियों एवं गृह कार्य के बोझ से निजात दिलाने के लिए उनके द्वारा यह जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. ताकि पांचवी क्लास तक के बच्चों के बस्तों का भार अन्यथा ना बढ़ाए जाए.
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वहीं, इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी नरेंद्र नगर ओम प्रकाश वर्मा ने बताया कि उनके द्वारा सभी प्राइवेट एवं सरकारी स्कूली संस्थाओं को निर्देशित किया गया है कि कक्षा एक से दो तक कोई भी होमवर्क बच्चों को न दिया जाए एवं कक्षा 3 से 2 घंटे प्रति सप्ताह का कार्य दिया जाए. बच्चों को एक्सट्रा होमवर्क भी ना दिया जाए.
खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कक्षा दो तक भाषा एवं गणित और कक्षा 3 से 5 में भाषा, गणित एवं पर्यावरण विज्ञान ये तीन विषय पढ़ाये जाएं.
उनका कहना है कि स्कूली बच्चों के बस्ते का वजन कक्षा अनुसार निर्धारित किया गया है, अगर इन नियमों का पालन किसी भी संस्था द्वारा नहीं किया जाएगा तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी.