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टिहरी झील में भर रही गाद, लोगों ने परियोजना की लाइफ पर उठाए सवाल

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Published : Jun 16, 2021, 6:15 PM IST

टिहरी झील में लगातार गाद भर रही है. माना जा रहा है कि गाद भरने से बिजली उत्पादन पर इसका प्रभाव पड़ेगा. स्थानीय लोगों ने परियोजना की लाइफ पर सवाल उठाए हैं.

tehri dam siltation
टिहरी झील गाद

टिहरीः करीब 42 वर्ग किलोमीटर तक फैली टिहरी बांध की झील में गाद भरने लगी है. इस पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने बांध परियोजना की लाइफ पर सवाल उठाए हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि गाद से बिजली उत्पादन पर असर पड़ेगा. अब गाद डोबरा चांठी पुल के नीचे तक दिखने लगी है. जो ठीक संकेत नहीं है. वहीं, उन्होंने इस बावत प्रधानमंत्री मोदी, ऊर्जा मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.

स्थानीय लोगों का कहना है टिहरी बांध परियोजना (Tehri Dam) के अधिकारियों की ओर से बताया गया था कि बांध की लाइफ 100 साल है, लेकिन झील में लगातार गाद भरने से परियोजना पर सवाल खड़े होने लगे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पहले टिहरी झील में गाद चिन्यालीसौड़ तक रहती थी. मात्र 15 सालों में ही पानी की जगह गाद डोबरा चांठी पुल के नीचे आकर दिखने लगी है.

घट रही टिहरी झील की लाइफ !

सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय नेता खेम सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को टिहरी झील में गाद को लेकर एक पत्र लिखा है. उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए बताया कि अगर टिहरी झील में लगातार ऐसे ही गाद बढ़ती गई तो बांध की लाइफ कम हो जाएगी. करीब 20 से 25 साल में ही टिहरी झील गाद से पूरी तरह से भर जाएगी.

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पर्यावरणविद् स्व. सुंदरलाल बहुगुणा ने भी जताई थी चिंता

उन्होंने बताया कि इस मामले में पर्यावरणविद् स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा ने भी चिंता व्यक्त की थी. साथ ही उन्होंने बताया था कि गाद के कारण टिहरी झील की लाइफ 30 साल से ज्यादा नहीं हो पाएगी. जैसे-जैसे झील में गाद बढ़ रही है, उससे सभी के माथे पर चिंता की लकीर खिंचने लगी है. इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार को समय रहते कदम उठाने होंगे.

रेत और बालू हटाने के काम में स्ठानीय लोगों को मिलेगा रोजगार

स्थानीय लोगों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार को टिहरी झील की सुरक्षा को लेकर रेत, बालू, पत्थर को हटाना चाहिए. इस काम में स्थानीय बेरोजगारों को वरीयता देनी चाहिए. ऐसे में उन्हें रोजगार भी मिल सकता है. इसके लिए सभी को अलग-अलग बांटकर काम देना चाहिए. जिससे रेत, बालू खाली हो सके और झील की लाइफ बढ़ाई जा सके.

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करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद नहीं हो पाती सफाईः खेम सिंह चौहान

वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता खेम सिंह चौहान ने टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों पर कई सवाल भी उठाए हैं. उन्होंने कहा कि टिहरी झील की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखता. जिसकी बानगी आज सभी के सामने है. आज झील रेत, बालू, मिट्टी, पत्थर के कारण भर गयी है. ये आने वाले समय में टिहरी झील के लिए खतरा पैदा करेगी.

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