टिहरी:इन दिनों उत्तराखंड में जगह-जगह से भू-धंसाव की खबरें आ रही हैं. जोशीमठ, कर्णप्रयाग और श्रीनगर के अलावा टिहरी बांध प्रभावित क्षेत्रों में लगातार भू-धंसाव हो रहा है. टिहरी जिले के नरेंद्रनगर ब्लॉक के अटाली गांव में भी बीते दिनों मकानों और भूमि पर लंबी दरार देखने को मिली. अटाली गांव में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना का कार्य चल रहा है. ग्रामीण इसी परियोजना को भू-धंसाव का कारण मान रहे हैं. लेकिन परियोजना से जुड़े अधिकारी इसे मानने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि इसकी एक्सपर्ट से जांच कराई जानी जरूरी है.
नरेंद्रनगर ब्लॉक के अटाली गांव में 60 से 70 परिवार निवासरत हैं. गांव के लोग कृषि पर आजीविका चलाते हैं. लेकिन इस गांव से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते गांव की जमीन परियोजना की जद में आ रही है. बीते कई दिनों से ग्रामीण अटाली गांव में भू-धंसाव की शिकायत कर रहे हैं. गांव के खतरे की जद में आने से ग्रामीण दहशत में हैं.
यूकेडी के केंद्रीय सचिव सरदार सिंह पुंडीर समेत अन्य लोगों का कहना है कि गत वर्ष से ही गांव के भवनों में दरारें देखने को मिली थीं. फसलों की सिंचाई करने के दौरान पता चला है कि अब खेतों में भी दरार पड़ने लगी हैं. लोगों का कहना है कि अब गांव में रहने में डर लगने लगा है. ऐसे में रेल विकास निगम को चाहिए कि जब तक उनका पुनर्वास नहीं हो जाता, तब तक जमीन और घरों के बदले मुआवजा दिया जाए.
हालांकि, रेल लाइन के अधिकारियों का कहना है कि गांव में एक जगह पर जमीन जरूर धंसी है. परियोजना निर्माण से मकानों को कोई खतरा नहीं हुआ है. लेकिन ग्रामीण इस तर्क को मानने को तैयार नहीं हैं. उनका स्पष्ट कहना है कि वह रेलवे लाइन प्रोजेक्ट का विरोध नहीं कर रहे हैं. वो पूरे गांव को व्यासी बाजार के पास बंजर पड़ी भूमि पर विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि परियोजना प्रभावित प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रेलवे निगम में नौकरी दी जाए. जोशीमठ में आई आपदा के बाद से लोगों में अब डर का माहौल है.
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रेल विकास निगम के अधिकारियों का कहना है कि परियोजना से भू-धंसाव नहीं हुआ है. शासन के निर्देश पर डीएम की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन कर एक-दो दिन में गांव का भ्रमण किया जाएगा. समिति की रिपोर्ट के आधार पर अटाली गांव के संबंध में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.