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नगरपालिका कार्यालय के बाहर लगेगी पुरानी टिहरी की ये निशानी, होगी आर्कषण का केंद्र

पुरानी टिहरी खुद में सदियों का इतिहास समेटे हुए है. टिहरी झील का निर्माण हुआ तो पुरानी टिहरी झील के पानी में गुम हो गई, लेकिन टिहरी रियासत की पुरानी निशानियां आज भी यहां देखी जा सकती हैं.

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नगरपालिका ने संभाली हुई है पुरानी टिहरी की निशानी.

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Published : Dec 2, 2019, 9:37 AM IST

टिहरी:राजशाही के दौर में टिहरी रियासत के वैभव का प्रतीक रहा घंटाघर टिहरी झील में डूबने के 11 साल बाद भी शान से खड़ा रहा. 2006 में पुरानी टिहरी शहर के टिहरी झील में डूबने से पहले इस घंटाघर की घड़ी चोरी हो गई थी. इस घंटाघर का शेष भाग पीतल का घंटा और गोल प्लेट नई टिहरी नगर पालिका ने अपने पास सुरक्षित रख लिया था. अब नगरपालिका इस बची हुई निशानी को नगरपालिका के स्वागत कक्ष में लगाने की तैयारी कर रहा है. इससे नई टिहरी के लोग और आने वाली पीढ़ी पुरानी टिहरी के घंटाघर को अपनी यादों में संजोए रख सके.

नगरपालिका ने संभाली हुई है पुरानी टिहरी की निशानी.

दरअसल, टिहरी का घंटाघर.ये पुरानी टिहरी की वो याद है जिसे कोई भुलाये नहीं भूल सकता. राजशाही के दौर में ये टिहरी रियासत के वैभव का प्रतीक था. साल 1897 में तत्कालीन महाराज कीर्ति शाह ने घंटाघर का निर्माण करवाया था. लंदन के घंटाघर की तर्ज पर बने 110 फीट ऊंचे इस घंटाघर को बनने में 3 साल लगे थे. पुरानी टिहरी खुद में सदियों का इतिहास समेटे हुए है. इसी को ध्यान में रखते हुए नगर पालिका विभाग ने घंटाघर के शेष भाग को नगरपालिका के स्वागत कक्ष में लगाने का निर्णय लिया है.

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नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी राजेंद्र सिंह सजवाण ने बताया घंटाघर का शेष भाग पीतल का घंटा और गोल प्लेट को वह जल्द से जल्द कार्यालय के बाहर लगाया जाएगा. उनका कहना है कि ये पीतल का घंटा नई टिहरी के लोगों के लिए लगाया जा रहा है. जिससे पुरानी यादें पुरानी होंगी.

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