टिहरी:भारत के पहले सिंगल संस्पेशन डोबरा चांठी पुल पर बिछी मस्टिक के 50 से अधिक जोड़ों में दरार पड़ने लगी हैं. जिससे मास्टिक बिछाने वाली गुप्ता कम्पनी की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. ग्रामीणों ने भी अब मामले में कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों ने सीएम पुष्कर सिंह धामी व सिंचाई मंत्री से मास्टिक बिछाने वाली गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच करवाने की मांग की है.
सालों के लंबे इंतजार के बाद मिले डोबरा चांठी पुल पर बिछी मास्टिक की दरारों को देखकर ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचनी शुरू हो गई हैं. 'डोबरा चांठी सस्पेंशन ब्रिज' के ऊपर बिछे मास्टिक के जोड़ों में दरार पड़ने से जनता में आक्रोश है. उन्होंने गुप्ता कंपनी पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिये हैं.
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प्रतापनगर की जनता ने रानीपोखरी वाले पुल को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज से घटिया काम करने वाली गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच करवाने की मांग की है. साथ ही प्रतापनगर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले इस पुल की सुरक्षा के लिए थर्ड एजेंसी से जांच करवाने की बात भी कही है.
यहां न हो रानीपोखरी पुल जैसा हादसा: प्रतापनगर की जनता का कहना है कि अगर पुल पर घटिया तरीके से मास्टिक बिछाने वाले गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच करते हुए कार्रवाई नहीं की जाती है तो जनता को धरने पर बैठना पड़ेगा. समय रहते इस पुल पर ध्यान नहीं दिया गया तो कहीं यहां भी रानीपोखरी पुल जैसा हादसा न हो.
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लंबा रहा डोबरा चांठी पुल का इंतजार: बता दें डोबरा चांठी पुल का निर्माण 2006 में शुरू हुआ था. वर्ष 2010 में इसका डिजाइन फेल होने के कारण इसका काम बंद करना पड़ा था. तब इस पुल के निर्माण पर 1.35 अरब की रकम खर्च हो चुकी थी. इसके बाद 2016 में लोक निर्माण विभाग खंड ने 1.35 अरब की लागत से दोबारा इसका निर्माण कार्य शुरू शुरू किया. पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की गई. तब इसका डिजाइन दक्षिण कोरिया की योसीन कंपनी से तैयार करवाया गया. उसके बाद इस पुल का निर्माणकार्य तेजी से हुआ. 2018 में पुल के 3 सस्पेंडर टूट गए. जिससे निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा टेढ़ा हो गया. तब तक पुल पर लगभग 3 अरब रुपए खर्च हो चुके थे. उसके बाद जैसे-तैसे पुल का काम फिर से शुरू किया गया.