देहरादून/टिहरी/अल्मोड़ा/सितारगंजः पूरे देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. उत्तराखंड में भी शिवरात्रि के मौके पर विभिन्न शिवालयों और मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. इस दौरान श्रद्धालु सुबह से ही महादेव का जलाभिषेक और दर्शन के लिए लाइन में लगे नजर आए. वहीं, श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर मनोकामनाएं मांगी.
टपकेश्वर मंदिर में पहुंचे हजारों श्रद्धालु. देहरादून
महाशिवरात्रि के मौके पर देहरादून के प्राचीन टपकेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही शिव भक्त जलाभिषेक करने के लिए लंबी कतार में खड़े नजर आए. खराब मौसम के वाबजूद भक्तों के उत्साह में कोई कमी देखने को नहीं मिली.
गौर हो कि टपकेश्वर महादेव का यह मंदिर एक पौराणिक शिव मंदिर है. पौराणिक काल में यह तीर्थ स्थल गुरु द्रोणाचार्य और उनके पुत्र अश्वस्थामा की तपस्थली थी. मंदिर में मौजूद गुफा में ही द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने दूध के लिए महादेव शिव की तपस्या की थी. जिसके बाद महादेव ने प्रसन्न होकर अश्वत्थामा को दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूर्ण की थी. यही कारण है कि इस गुफा की छत गौ के थन के आकार में है.
माना जाता है कि सतयुग में दूध की बूंद टपका करती थी, लेकिन धरती में पाप बढ़ने के साथ दूध की बूंदे पानी की बूंदों में तब्दील हो गई. आज भी इस गुफा में लगातार पानी की बूंदें टपकती रहती है. वहीं, इस प्राचीन मंदिर में 5151 रुद्राक्ष से शिव के देवेश्वर रूप की प्रतिमा भी तैयार की गई है. जिसके दीदार के लिए दूर-दूर से हर साल हजारों श्रद्धालु यहां पहुचते हैं.
उत्तराखंड में महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़. ये भी पढ़ेंःशिवरात्रि विशेष : जानें क्या हैं 12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी खास मान्यता
टिहरी
महाशिवरात्रि पर टिहरी के देवलसारी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही. इस मंदिर में कुदरत का ऐसा अनोखा चमत्कार देखने को मिलता है. जलेरी नहीं होने से इस मंदिर की आधी नहीं, बल्कि पूरी परिक्रमा की जाती है. इतना ही नहीं इस शिवालय की अनूठी परंपराएं और कई रहस्य श्रद्धालुओं को हैरत में डाल देते हैं.
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अल्मोड़ा
अल्मोड़ा जिले में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया. भारी बारिश के बीच भी मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. विश्वप्रसिद्ध जागेश्वर धाम में सुबह से देशभर के श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. यहां दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु भोले बाबा का आशीर्वाद लेने पहुंचे. जागेश्वर धाम में शिवरात्रि पर पूर्जा-अर्चना का विशेष महत्व है. मान्यता है कि शिवरात्रि पर मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाली महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है.
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सितारगंज
सितारगंज के बाराकोली रेंज के जंगल में स्थित भगवान शिव का ऐतिहासिक झाड़खंडेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था और उपासना का केंद्र है. भगवान शिव के 400 साल से ज्यादा पुराने इस पौराणिक मंदिर में कई धार्मिक और ऐतिहासिक किस्से जुड़े हुए हैं. इस मंदिर को झाड़ी मंदिर नाम से भी जाना जाता है, बाबा आगमपुरी के वंशज चार पीढ़ियों से इस मंदिर में पुजारी हैं. शिवरात्रि पर यहां तीन दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है.