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चुनाव से ठीक पहले छलका पूर्व PCC अध्यक्ष का दर्द, बोले- जिनको कंधे पर बैठाया, उन्होंने ही पांव काटे

पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) और पूर्व पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के बीच 2017 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुई तकरार थम नहीं रही है. ऐसे में किशोर उपाध्याय का दर्द छलका है. उन्होंने कहा कि जिनको मैंने कंधे पर बैठाकर राजनीति में सपोर्ट किया, उन्होंने ही मेरे पांव काटने का काम किया है.

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किशोर उपाध्याय का छलका दर्द

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Published : Dec 5, 2021, 12:43 PM IST

टिहरी:उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय (Kishore Upadhyay) के बीच एक बार फिर तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है. दोनों ही नेता एक दूसरे पर लगातार कटाक्ष करते नजर आ रहे हैं. अब किशोर उपाध्याय का दर्द छलका है, उन्होंने कहा है कि जिनको मैंने कंधे पर बैठाकर राजनीति में सपोर्ट किया, उन्होंने ही मेरे पांव काटने का काम किया. मुझे राजनीतिक तौर पर 17 से 18 बार हानि पहुंचाई, मुझे हानि पहुंचाने वालों को जनता अब हिसाब देगी.

किशोर उपाध्याय से जब पूछा गया कि आखिर हरीश रावत हमेशा सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ कटाक्ष करते रहते हैं, तो किशोर ने बड़ी ही शालीनता से जबाब दिया कि हरीश रावत की यह अच्छी बात है, जो मुझे हमेशा सुर्खियों में रखते हैं. हरीश रावत हमारे बड़े भाई हैं और किशोर उपाध्याय के लिए यह अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि किशोर उपाध्याय ने अपने कंधों पर चढ़ाकर जिन लोगों को आगे बढ़ाने का काम किया, उसने कोशिश की वह किशोर उपाध्याय के पांव काट दें, लेकिन मेरे ऊपर मां भगवती की कृपा रही की कोई व्यक्तिगत नुकसान नहीं पहुंचा सका.

किशोर उपाध्याय का छलका दर्द.

किशोर उपाध्याय ने कहा कि उनको राजनीतिक रूप से 17- 18 बार हानि पहुंचा दी, लेकिन कोई बात नहीं, मैं उसका बुरा भी नहीं मानता हूं. उन्होंने कहा कि हरीश रावत हमारे वरिष्ठ साथी और बड़े भाई हैं. राजनीति रूप से अलग हो सकते हैं, लेकिन पारिवारिक रूप से एक हैं. वह मेरे बड़े भाई हैं और मैं उनका आदर और सम्मान भी करता हूं. हरीश रावत अगर पारिवारिक हिसाब से मुझे कोई सुझाव भी देंगे, तो निश्चित रूप से उसे मानेंगे लेकिन राजनीति रूप में अलग हैं. अगर राजनीतिक रूप से मुझे कोई सुझाव देंगे तो वह मैं मानूंगा या नहीं मानूंगा वह मेरा निर्णय है.

परिवार को छोड़कर राजनीति को समय दिया: किशोर उपाध्याय ने कहा कि राहुल गांधी का बुलावा मुझे देर से मिला और मैं इसलिए नहीं जा पाया कि मेरे परिवार में शादी थी और मेरे लिए पहले अपने सगे संबंधी हैं. मैंने 50 साल की राजनीति में ना परिवार देखा, ना सगे संबंधी देखे. यहां तक कि मैं अपने भांजे और भांजी की शादी में भी नहीं जा सका. ना ही मैं क्षेत्र के कई लोगों की शादी में जा पाया. इसका मुख्य कारण पार्टी के कार्यक्रम होते थे, जिस कारण में अपने सगे संबंधियों से नहीं मिल सका और न समय दे पाया.

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किशोर उपाध्याय ने आगे कहा कि मैं इस उम्र में यह चाहता हूं कि अपने पुराने संबंधों को पुनर्जीवित कर सकूं. अगर पुराने संबंधों को पुनर्जीवित नहीं करेंगे, तो वह संबंध मर जाते हैं. कई मेरे खास अपने परिचित लोग नाराज होने के कारण बात ही नहीं करते हैं. कहते हैं कि आप पार्टी के ही कामों में व्यस्त हैं. अपने सगे संबंधियों के लिए समय नहीं है. इसलिए मैं इस समय अपनों के बीच जाकर अपने पुराने संबंधों को पुनर्जीवित कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि अभी वो इन संबंधों को जीवित करने में व्यस्त हैं और समय आने पर जल्द ही राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे, फिर देखेंगे कि आगे की क्या रणनीति बनती है? उन्होंने कहा कि जो वन अधिकार आंदोलन को समर्थन देगा और लागू करेगा, मैं उनके साथ खड़ा हूं.

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