उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कोरोना ने बदला जन्माष्टमी का रंग, श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं

कोरोना संकट के बीच उत्तराखंड में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाया जा रहा है. मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. जबकि, बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा रहे हैं, लेकिन मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया है.

janmashtami
जन्माष्टमी

By

Published : Aug 11, 2020, 5:04 PM IST

Updated : Aug 11, 2020, 8:22 PM IST

टिहरी/हरिद्वार/काशीपुर/रामनगरः पूरे देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते जन्माष्टमी के त्योहार पर बड़ा असर देखने को मिला है. बीते सालों जहां मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिलती थी, लेकिन ऐसा नहीं है. मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोग पूजा-अर्चना करते नजर आ रहे हैं. हालांकि, टिहरी के सेममुखेम नागराजा मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.

सेममुखेम नागराजा मंदिर में बने कुंड से पानी पर दूर होते हैं कुष्ठ रोग
टिहरी जिले के प्रतापनगर के सेममुखेम के जंगल में भगवान श्री कृष्ण का मंदिर मौजूद है. जिसे सेममुखेम नागराजा मंदिर के नाम से जाना जाता है. जहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं और भगवान के दर्शन कर मन्नतें मांग रहे हैं. इस दिन स्थानीय देवताओं की डोलियां को मंदिर में ले जाते हैं. माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु मंदिर आता है तो वो खाली हाथ नहीं लौटता है. यहां पर पुत्र प्राप्त की मन्नतें पूरी होती है. इस मंदिर के पास बने पानी के कुंड से पानी पीने पर कुष्ट रोग भी दूर होते हैं.

कोरोना ने बदला जन्माष्टमी का रंग.

ये भी पढ़ेंःद्वारिका डूबने के बाद देवभूमि के इस स्थान पर अवतरित हुए थे भगवान श्रीकृष्ण

मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में कालिंदी नदी में जब बाल स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण गेंद लेने उतरे तो उन्होंने इस कालिया नाग को इस नदी से सेममुखेम जाने को कहा था. तब कालिया नाग ने भगवान श्रीकृष्ण से सेममुखेम आकर दर्शन देने की इच्छा जाहिर की. कहते हैं इस वचन को पूरा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका छोड़कर उत्तराखंड के रमोलागढ़ी में आकर स्थापित हो गए. जो आज सेममुखेम नागराजा मंदिर के नाम से जाना जाता है.

सेममुखेम मंदिर के मैदान में पशुओं की पत्थर शिला भी बनी है. आज भी यह मान्यता है कि इस गांव के लोग चाहे कितना ही बड़ा आदमी और धनवान क्यों न हो, उसे जीवन में एक बार भिक्षा मांगने जरूर जाना पड़ता है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल कालसर्प योग होता है, वो लोग चांदी के बने दो सर्प नाग-नागिन मंदिर में चढ़ाते हैं. ऐसे में उनकी अकाल मृत्यु भी टल जाती है.

काशीपुर में सजे मंदिर, लेकिन सार्वजनिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं
कोरोना के चलते इस बार सभी तीज त्योहार समेत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव फीका नजर आ रहा है. काशीपुर में मंदिरों को बिजली के झालरों, फूल-मालाओं और गुब्बारों से आकर्षक ढंग से सजाया गया है. इस बार शारीरिक दूरी का पालन, फेस मास्क, सार्वजनिक स्थान पर भीड़ एकत्र न करने समेत कई नियमों का पालन करना अनिवार्य है. जबकि, मंदिरों में भी 5-5 श्रद्धालुओं को प्रवेश करने की ही अनुमति दी गई है. ऐसे में मंदिरों में एकत्र होने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए काशीपुर प्रशासन ने किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करने की फिलहाल अभी अनुमति प्रदान नहीं की है.

ये भी पढ़ेंःजन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के साक्षी रहे हैं ये वृक्ष, कृष्ण वाटिका में करें दीदार

पौड़ी जिला कारागार में मनाई जाएगी जन्माष्टमी
पौड़ी जिला कारागार में हर साल की तरह ही इस बार भी रौनक है. इस मौके पर कारागार को सुंदर तरीके से सजाया गया है. कारागार को आकर्षित बनाने लिए सुबह से ही पुलिस के जवान पूरी मेहनत से जुटे हैं. वहीं, कारागार अधिकारी डीपी सिन्हा ने बताया कि कोरोना के इस दौर में सामाजिक दूरी के साथ सभी नियमों का पालन किया जा रहा है.

हरिद्वार में जन्माष्टमी को लेकर पुलिस मुस्तैद
इस बार जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में ज्यादा भीड़ देखने को नहीं मिल रही है. कोविड के नियमों के पालन कराने को लेकर हरिद्वार पुलिस मुस्तैद है. जिसे लेकर पुलिस कप्तान सेंथिल अवुदई कृष्णराज एस ने जिले के सभी थानों को निर्देशित किया है कि जन्माष्टमी के पर्व पर मंदिरो में भीड़ इकठ्ठा न होनें दें.

रामनगर में जन्माष्टमी के पर्व पर भी दिखा कोरोना का असर
रामनगर में भी कोरोना का असर जन्माष्टमी पर्व पर भी दिखा. जहां राम मंदिर जन्माष्टमी के पर्व पर हर साल तरह-तरह की झांकियों से सजा रहता था. जबकि, भक्तों से पूरा प्रांगण गुलजार रहता था, लेकिन इस बार कोरोना के चलते मंदिर में रौनक नहीं दिखी और न ही ज्यादा भक्त दिखे. मंदिर के पुजारी केएस दुवेदी ने बताया कि सीमित संख्या में ही भक्तों को अंदर आने दिया जा रहा है. जहां भक्तों को सैनिटाइज करके ही मंदिर में कान्हा के दर्शन करने की अनुमति दी जा रही है. वहीं, श्रद्धालु स्नेह अग्रवाल ने कहा कि नियमों का पालन कर पूजा अर्चना करने मंदिर आए हैं.

पुलिस लाइन में नहीं मनाया जाएगा जन्माष्टमी का त्योहार
कोरोना की वजह से जन्माष्टमी की रौनक गायब है. मंदिरों में जन्माष्टमी पर होने वाले भव्य कार्यक्रमों को रद्द किया गया है, हालांकि श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खुले हैं, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनकर ही लोग भगवान के दर्शन कर रहे हैं. वहीं, हर साल पुलिस लाइन में सभी थानों की ओर जन्माष्टमी मनाई जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना के चलते नहीं मनाया जाएगा. ऐसे में शहर में सिर्फ सांकेतिक तौर पर ये पर्व मनाया जाएगा.

बेरीनाग में भी जन्माष्टमी की धूम

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के मौके पर मंगलवार को क्षेत्र में धूमधाम के साथ मनाया गया. क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में बच्चों ने श्रीकृष्ण के रूप में मनमोहक प्रस्तुती दी. नगर में भी जन्माष्टमी के मौके पर बाजार में चहल पहल देखने को मिली. हालांकि कोरोना के कारण इस बार कृष्ण झांकी का कार्यक्रम नहीं हुआ.

हरे कृष्णा गौ आश्रम में सादगी से मनाई जा रही जन्माष्टमी
हल्द्वानी के हल्दुचौड़ स्थित हरे कृष्णा गौ आश्रम में श्री कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही सादगी से मनाई जा रही है. मंदिर में जहां 72 घंटे का हरि भजन का आयोजन किया जा रहा है. आश्रम को भव्य रूप से सजाया गया है. साथ ही श्रीकृष्ण की झांकी बनाई गई है. मंदिर में बाहर से आने जाने वाले भक्तों पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाई गई है. श्रद्धालु मंदिर के द्वार से दर्शन कर वापस लौट रहे हैं. साथ ही मंदिर के आसपास बैरिकेडिंग की गई है और थर्मल स्क्रीनिंग व्यवस्था के साथ सैनिटाइजर का भी प्रयोग किया जा रहा है.

Last Updated : Aug 11, 2020, 8:22 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details