जौनपुर: थत्यूड़-ककड़ू मोटरमार्ग पर स्टोन क्रेशर में लगे भारी वाहनों की आवाजाही से जगह-जगह पर सड़क धसने लगी है. साथ ही सड़क किनारे स्थित मकानों में दरारें भी आ रही हैं. जिसके चलते ग्रामीण दहशत में हैं. इस संबंध में मार्ग की वर्तमान स्थिति को देखते हुए डीपीआर लोक निर्माण विभाग को भेजा गया है.
भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क किनारे स्थित मकानों में दरारें आई, खौफजदा ग्रामीण
ग्रामीण शेर सिंह डोगरा ने बताया कि इस मोटरमार्ग का निर्माण साल 1995-96 में सुनिश्चित रोजगार योजना के जरिए अम्बेडकर ग्राम के तहत हुआ था. जिसकी चौड़ाई 3 मीटर से 3.5मीटर तक है. लेकिन उसके बाद न तो सड़क का चौड़ीकरण हुआ और 2013 में आई आपदा के बाद कोई मरम्मत का कार्य हुआ है. आपदा के बाद ग्राम दुगड्डा का प्रशासन के देख-रेख में भू-वैज्ञानिक सर्वे भी करवाया गया था. जिसके तहत दुगड्डा बस्ती का विस्थापन होना था. लेकिन विस्थापन के लिए मानक इस प्रकार से तय किए गए थे कि वह परिस्थितिजनक नहीं थे. ऐसे में सरकार द्वारा इस भू-वैज्ञानिकों के इस सर्वे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद दुगड्डा बस्ती को आपदा की दृष्टि से संवेदनशील मानते हुए सिर्वा से ककड़ू तक दैवीय आपदा मद से वैकल्पिक बायपास मोटर मार्ग काटा गया है. जिसमें दुगड्डा बस्ती वालों की जमीन के साथ ग्राम खेड़ा वालों की जमीन काटी गई है. जिसका कई परिवारों को अभी तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है.
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बता दें कि सिर्वा- ककड़ू मोटर मार्ग का तब से अभी तक सुधारीकरण नहीं हो पाया. यदि उस रोड को सही बनाया जाता है तो स्टोन क्रेशर में संचालित होने वाले भारी वाहन जो दुगड्डा बस्ती से होते हुए निकलते हैं. वे सिर्वा-ककड़ू बाईपास से जा सकते हैं. साथ ही दुगड्डा गांव पर मंडरा रहा खतरा टल सकता था. ये ही वजह है कि साल 2013 की भीषण आपदा में भू-वैज्ञानिक सर्वे के आधार पर संवेदनशील क्षेत्र घोषित हुआ है.