टिहरी: उत्तरकाशी के बांध प्रभावितों को लेकर बीते सप्ताह दिल्ली में हुए पुनर्वास बैठक को पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भ्रामक बताते हुए कहा कि सरकार ने अंतिम दौर में यहां की जनता को झुनझुना थमाने के लिए दिल्ली में यह बैठक करने का ड्रामा किया है. उन्होंने कहा कि सतपाल महाराज बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने अंतिम समय में टिहरी-उत्तरकाशी के बांध प्रभावितों की ओर ध्यान तो दिया, लेकिन भरमाने का काम किया है.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 2003 में एक रिट पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक अंतिम व्यक्ति का पुनर्वास नहीं हो जाता है, तब तक टी वन और टी टू सुरंगों को बंद न किया जाए. लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर सुरंगों को बंद कर दिया. वहीं आज सरकारें मान रहीं हैं कि 600 से अधिक परिवारों का पुनर्वास नहीं हो पाया है. 1998 में यूपी के दौर में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जीओ जारी किया था कि बांध प्रभावित परिवारों के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए, जिसे तत्कालीन बीजेपी सरकार ने विड्रो कर बांध प्रभावितों के साथ कुठाराघात किया.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीएचडीसी का बनाया गया ग्रीवांस सेल बीते चार सालों से बंद है, जिसे लेकर बीजेपी सरकार व उनके प्रतिनिधि खामोश हैं. जिससे बांध प्रभावितों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब बांध से 12.5 प्रतिशत रॉयल्टी सरकार को मिल रही है, तो टिहरी-उत्तरकाशी के लोगों को बिजली, पानी और सीवरेज के बिल क्यों थमाए जा रहे हैं.