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किशोर उपाध्याय ने की बिहारी लाल से मुलाकात, बांध के खतरों पर किया मंथन - उत्तराखंड न्यूज

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय आश्रम लोक जीवन भारती पहुंचे. उन्होंने बिहारी लाल से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने चमोली हादसे को लेकर दुख जताते हुए पहाड़ों पर बड़े बांध के निर्माण को गैर जरूरी बताया.

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किशोर उपाध्याय ने की बिहारी लाल से मुलाकात,

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Published : Feb 16, 2021, 3:36 PM IST

टिहरी:उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने प्रख्यात समाजसेवी सर्वोदय नेता बूढ़ा केदार निवासी बिहारी लाल के स्वास्थ्य का हाल-चाल उनके आश्रम लोक जीवन भारती में पहुंचकर लिया. इस मौके पर उपाध्याय ने कहा कि बिहारी लाल पहाड़ की समझ रखने वाले समाजसेवी हैं. इन्होंने गांधीवाद परंपरा को आगे बढ़ाने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय काम किये हैं.

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आश्रम में उपाध्याय ने बहुत सारे विषयों पर बिहारी लाल से चर्चा करते हुये कहा कि आज आवश्यकता है कि कक्षा 12वीं तक के बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कृषि, उद्यानिकी, प्रोद्यौगिकी (एग्रो इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी), वानिकी आदि महत्वपूर्ण विषयों की पढ़ाई करवाई जाए. जिससे बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़कर उनका भविष्य बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में बहुत सारी बंजर भूमि पड़ी हुई है. पलायन को कैसे रोका जाए इसके लिए छोटी-छोटी संस्थाएं, हेल्प ग्रुप, युवक मंगल दल व महिला मंगल दलों को उस खाली भूमि पर नकदी फसलों के लिए देकर उससे आमदनी बढ़ाई जा सकती है. पहाड़ों में छोटे-छोटे औद्योगिक कल-कारखाने लगाए जाने की आवश्यकता है, जिससे बेरोजगार नौजवान यहीं अपना छोटा-छोटा रोजगार कर सकें.

किशोर उपाध्याय ने कहा कि पहाड़ों में बड़े बांध की आवश्यकता नहीं है. यहां हर गाड़-गधेरे में छोटी-छोटी पन विद्युत योजनाएं बनाई जानी चाहिए. बिजली का उसी क्षेत्र में उपयोग किया जाना चाहिए. चमोली जनपद के रैणी गांव की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में भी जराल ताल और मंजाड्ड ताल भी एक खतरे को न्योता दे रहे हैं. उन्होंने इस बात की चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पहाड़ों के ऊपर बहुत सारी जगह पानी के तालाब बने हुए हैं, जो कि भविष्य के लिए खतरा साबित हो सकते हैं. पेयजल स्रोतों के ऊपर छोटे-छोटे चाल-खाल का निर्माण किया जाना चाहिए. जल संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य सरकार को महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए, जिससे भविष्य में पानी की किल्लत ना हो.

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