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कभी गाजे-बाजे के साथ 'मरीना बोट' में हुई थी कैबिनेट बैठक, आज टिहरी झील में डूबी - टिहरी झील

फ्लोटिंग मरीना बोट चलाने के लिए पर्यटन विभाग ने कई बार टेंडर भी निकला था, लेकिन किसी ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई. अब स्थानीय लोगों ने मांग उठाई है कि इस मरीना बोट में जो करोड़ों खर्च हुये हैं उसकी जांच होनी चाहिए कि यह कितने में आई और किस वजह से लाया गया था.

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Published : May 7, 2019, 3:45 PM IST

Updated : May 7, 2019, 4:29 PM IST

टिहरी: एक तरफ सरकार उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने का सपना देख रही है तो दूसरी तरफ सरकार का ये सपना टिहरी झील में डूब गया है. दरअसल, हम बात रहे हैं टिहरी झील में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सात करोड़ की लागत से बनाई गई फ्लोटिंग मरीना रेस्तरां बोट की. प्रशासन और पर्यटन विभाग की लापरवाही के कारण करोड़ों की ये बोट टिहरी झील में डूब गई है.

मरीना बोट टिहरी झील में डूबी

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बता दें कि ये वही मरीना रेस्तरां बोट है, जिस पर पिछले साल ही बड़े जोर-शोर से त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक हुई थी. इसी बोट में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 13 जिले-13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिए 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन का एलान किया था.

बता दें कि टिहरी झील में पर्यटन को बढ़ाने के लिए कई साल पहले फ्लोटिंग मरीना रेस्तरां बोट का निर्माण कराया गया था, ताकि इस पर बैठकर पर्यटक झील का लुत्फ उठा सकें और सरकार की आमदनी बढ़े लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते ये बोट कई सालों ऐसे ही खड़ी हुई जंग खा रही थी और अब झील में समा गई है.

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इसको चलाने के लिए पर्यटन विभाग ने कई बार टेंडर भी निकला था, लेकिन किसी ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई. अब स्थानीय लोगों ने मांग उठाई है कि इस मरीना बोट में जो करोड़ों खर्च हुये हैं उसकी जांच होनी चाहिए कि यह कितने में आई और किस वजह से लाया गया था. सामाजिक कार्यकर्ता खेम सिंह ने सवाल उठाते हुये कहा कि इस मरीना बोट के डूबने से सरकारी धन की बड़ी बर्बादी हुई है. इसकी देखरख करने वाली एजेंसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होना चाहिए.

गौर हो कि दुनिया के सबसे बड़े बांधों में शामिल टिहरी डैम की 42 वर्ग किमी में फैली विशालकाय टिहरी झील में पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं को देखते हुये केंद्र और राज्य सरकार ने यहां पर्यटन विकास के लिए करोड़ों रुपये अवस्थापना विकास पर खर्च किए हैं. झील में फ्लोटिंग मरीना, इको हट्स से लेकर झील किनारे आलीशान होटल भी बनकर तैयार थे लेकिन सरकार की ये कोशिशें कभी परवान नहीं चढ़ सकीं. स्थानीय बोट व्यवसायी इसके संचालन की मांग करते रहे लेकिन पर्यटन विभाग ने ऐसा नहीं किया और अब अपनी बारी का इंतजार करते-करते करोड़ों की ये बोट आखिरकार झील में समा गई.

Last Updated : May 7, 2019, 4:29 PM IST

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