टिहरी:प्रभावित ग्रामीणों के विरोध के बाद भी बीते दिनों उत्तराखंड सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दे दी. जिससे टिहरी झील के आसपास बसे गांव के लोगों में आक्रोश बना हुआ है. लोगों का कहना है कि टीएचडीसी के द्वारा अभी तक कई गांवों का विस्थापन नहीं किया गया है. वहीं टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि जलस्तर बढ़ाए जाने से विद्युत उत्पादन बढ़ेगा और राजस्व में भी इजाफा होगा.
टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि 828 से 830 आरएल मीटर पानी भरने पर करीब 80 मिलियन क्यूमेक्स पानी बढ़ जाएगा. 828 आरएल मीटर तक जितना पानी इकट्ठा होता था उतना और बढ़ेगा इससे विद्युत उत्पादन की क्षमता भी बढ़ेगी.
फाइनेंशियल स्थिति देखें तो प्रतिदिन के हिसाब से करीब 50 लाख रुपए का एडिशनल फायदा परियोजना को होगा. उसका लाभ राज्य व केंद्र सरकार को मिलेगा. जो बिजली का उत्पादन टिहरी बांध से किया जा रहा है, उस बिजली को बेचने के लिए दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल आदि के साथ पहले से ही अनुबंध किया गया है और उत्तराखंड को 12.5% रॉयल्टी दी जा रही है. जो भी डिमांड होती है, वह पावर ग्रिड पर डिपेंड करती है. साथ ही पावर जेनरेशन लोड पर डिपेंड करता है.
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अभी टिहरी बांध परियोजना से 24 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं किया जा रहा है. जिस दिन पीएसपी स्टोरेज प्लांट पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा, उस दिन टिहरी बांध परियोजना से 24 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. इस समय 14 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन टिहरी झील से किया जा रहा है. उमेश कुमार सक्सेना ने विस्थापन के सवाल पर कहा कि 835 आरएल मीटर से नीचे की संपत्ति टिहरी बांध परियोजना की है. इसके नीचे जो भी प्रॉपर्टी, गांव, मकान, जमीन लोगों के थे. उसके बदले उन्हें मुआवजा और दूसरी जगह शिफ्ट किया जा चुका है. साथ ही देखने में आया है कि कई लोग गैर कानूनी तरीके से 835 आरएल मीटर से नीचे अभी भी रह गए हैं. जिन्हें हटाने का काम जिला प्रशासन का है.