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गांवों पर खतरे से बेफिक्र THDC ED, बोले- ज्यादा पानी से ज्यादा बिजली

टिहरी झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. झील के आसपास के गांव एक बार फिर खतरे की जद में आ गए हैं. वहीं टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि जलस्तर बढ़ाए जाने से विद्युत उत्पादन बढ़ेगा.

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टीएचडीसी अधिशासी निदेशक उमेश कुमार

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Published : Sep 17, 2021, 2:15 PM IST

टिहरी:प्रभावित ग्रामीणों के विरोध के बाद भी बीते दिनों उत्तराखंड सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति दे दी. जिससे टिहरी झील के आसपास बसे गांव के लोगों में आक्रोश बना हुआ है. लोगों का कहना है कि टीएचडीसी के द्वारा अभी तक कई गांवों का विस्थापन नहीं किया गया है. वहीं टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि जलस्तर बढ़ाए जाने से विद्युत उत्पादन बढ़ेगा और राजस्व में भी इजाफा होगा.

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि 828 से 830 आरएल मीटर पानी भरने पर करीब 80 मिलियन क्यूमेक्स पानी बढ़ जाएगा. 828 आरएल मीटर तक जितना पानी इकट्ठा होता था उतना और बढ़ेगा इससे विद्युत उत्पादन की क्षमता भी बढ़ेगी.

बिजली की फिक्र, लोगों की चिंता नहीं

फाइनेंशियल स्थिति देखें तो प्रतिदिन के हिसाब से करीब 50 लाख रुपए का एडिशनल फायदा परियोजना को होगा. उसका लाभ राज्य व केंद्र सरकार को मिलेगा. जो बिजली का उत्पादन टिहरी बांध से किया जा रहा है, उस बिजली को बेचने के लिए दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल आदि के साथ पहले से ही अनुबंध किया गया है और उत्तराखंड को 12.5% रॉयल्टी दी जा रही है. जो भी डिमांड होती है, वह पावर ग्रिड पर डिपेंड करती है. साथ ही पावर जेनरेशन लोड पर डिपेंड करता है.

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अभी टिहरी बांध परियोजना से 24 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं किया जा रहा है. जिस दिन पीएसपी स्टोरेज प्लांट पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा, उस दिन टिहरी बांध परियोजना से 24 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. इस समय 14 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन टिहरी झील से किया जा रहा है. उमेश कुमार सक्सेना ने विस्थापन के सवाल पर कहा कि 835 आरएल मीटर से नीचे की संपत्ति टिहरी बांध परियोजना की है. इसके नीचे जो भी प्रॉपर्टी, गांव, मकान, जमीन लोगों के थे. उसके बदले उन्हें मुआवजा और दूसरी जगह शिफ्ट किया जा चुका है. साथ ही देखने में आया है कि कई लोग गैर कानूनी तरीके से 835 आरएल मीटर से नीचे अभी भी रह गए हैं. जिन्हें हटाने का काम जिला प्रशासन का है.

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उन्होंने आगे कहा कि टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर बढ़ने के बाद 835 आरएल मीटर के ऊपर जितनी भी संपत्ति हैं, उसे अगर कुछ भी नुकसान होता है तो उसकी भरपाई करने के लिए राज्य व केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है. वह कमेटी झील के आसपास हो रहे नुकसान का जायजा व निरीक्षण करेगी और रिपोर्ट देगी. उस रिपोर्ट के आधार पर जिसका कुछ भी नुकसान हुआ है, उसे मुआवजा दिया जाएगा और अन्य जगह विस्थापित किया जाएगा. अभी तक 415 परिवारों का विस्थापन नहीं हुआ है. इस मुद्दे पर उन्होंने कहा कि टीएचडीसी के पास जमीन कम है. जितनी भी जमीन टीएचडीसी के पास रायवाला देहरादून आदि जगहों में है, वहां विस्थापन किया जाएगा.

प्रभावित परिवारों के विस्थापन करने के लिए जल्दी पुनर्वास विभाग को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी. पुनर्वास विभाग अपने स्तर से प्रभावित परिवारों को जमीन आवंटित करेगा. जिन परिवारों के लिए जमीन नहीं होगी, उन्हें 74.4 लाख रुपए के करीब मुआवजा दिया जाएगा. साथ ही कहा कि टिहरी बांध परियोजना से जो कमाई होती है उसका कुछ हिस्सा सीएसआर मद के माध्यम से स्थानीय क्षेत्रों में काम किया जाता है.

गौर हो कि बीते दिनों पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश के बाद टिहरी झील का जलस्तर बढ़ गया है. बीते दिनों टिहरी झील का जलस्तर 827 आरएल मीटर था और करीब 15 घंटे में झील का जलस्तर एक बढ़कर 828 आरएल मीटर पहुंच गया था. झील का जलस्तर बढ़ने से आसपास बसे रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई थी. साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी थी, जिससे ग्रामीण दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं.

बता दें कि झील का जलस्तर बढ़ने से आसपास बसे गांवों की जमीनों पर कटाव होने का खतरा बढ़ गया है. रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई है. साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी हैं.

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