टिहरी: झील बनने के बाद कई शवदाह गृह घाट डूब गए. जिससे क्षेत्र के लोगों को शव के अंतिम संस्कार करने में परेशानी आ रही है. जबकि झील बनने से पहले लोग भागीरथी और भिलंगना नदी किनारे शव को जलाते थे.
टिहरी झील बनने के बाद यहां का शवदाह गृह झील में डूब गया. वहीं, टिहरी बांध परियोजना के तहत झील के आसपास घाट अभी तक नहीं बनाये गए. जिससे टिहरी के लोगों को शव झील के किनारे जलाने पड़ रहे हैं. ऐसा ही मामला कोटी कॉलोनी में देखने को मिला, जहां ग्रामीण मृतक का शव झील किनारे जलाने लगे हैं, जिससे झील किनारे गंदगी फैलने लगी है.
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शव दाह को लेकर कई तस्वीरें ऐसे भी सामने आई हैं, जिन्हें देखकर आप विचलित हो सकते हैं. झील किनारे कई परिजन शवों को अधजला छोड़कर चले जाते हैं, जिसके बाद वहां मौजूद कुत्ते उन शवों को नोचकर खाते दिखाई देते हैं. जिसकी वजह से आसपास का वातावरण दूषित होने लगा है.
सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप पंवार ने बताया कि टिहरी झील के किनारे लोग शवों को आग लगाकर छोड़ रहे हैं, जिससे अधजले शवों को कुत्ते खा रहे हैं. साथ ही जली हुई लकड़ी के कोयले भी इधर-उधर बिखरे पड़े हैं. वहीं, गंदगी फैलने के कारण स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा है.
कुलदीप पंवार ने कहा कि हर बार नए साल पर पर्यटकों की तादाद टिहरी झील के किनारे बढ़ती है. इसलिए हमारी जिला प्रशासन से मांग है कि 31 दिसंबर से पहले जिला प्रशासन झील किनारे फैली गंदगी को साफ करवाने के निर्देश दे. जिससे पर्यटक आसानी से टिहरी झील के किनारे आ जा सकें.