उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

14 साल में भी नहीं बन पाया डोबरा चांठी पुल, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

डोबरा-चांठी पुल का निर्माण कार्य 14 सालों में भी नहीं हुआ पूरा. निर्माण की धीमी गति पर प्रतापनगर के ग्रामीणों ने जताई नाराजगी.

डोबरा चांठी पुल.

By

Published : Jun 17, 2019, 3:36 AM IST

टिहरी: बांध प्रभावित प्रतापनगर क्षेत्र को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा चांठी-डोबरा पुल 14 साल में भी बनकर तैयार नहीं हो पाया है. 2005 में शुरू हुए इस पुल का निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह से प्रताप नगर की जनता को आवागमन के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

डोबरा चांठी पुल की निर्माण गति से प्रतापनगर के ग्रामीण नाराज.

दरअसल, टिहरी झील बनने के बाद प्रतापनगर को जोड़ने वाले 17 पुल डूब गए थे. उसके बाद प्रतापनगर को जोड़ने के लिए डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की सरकार ने स्वीकृत किया था. प्रताप नगर की तीन लाख आबादी के लिए टिहरी से प्रताप नगर को जोड़ने वाला डोबरा चांठी पुल के निर्माण कार्य में अबतक 135 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.

पढ़ें-नहर में नहाने गये किशोर की डूबकर मौत, दो दिनों में दूसरी घटना, परिवार में इकलौता था सुनील

वहीं, बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने के बाद पुल के लिए ₹75 करोड़ जारी किये जिसके बाद भी पुल का निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है. धीमी गति से हो रहे पुल के निर्माण से परेशान लोगों ने सरकार से जल्द कार्य पूरा करवाने की मांग की है और ऐसा न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है.

अधिशासी अभियंता कुंवर सिंह असवाल ने बताया कि डोबरा चांठी पुल के डोबरा चांठी पुल के सस्पेंशन टूटने के कारण करीब 8-9 महीने तक काम बंद रहा. इसको 20 मई 2019 से शुरू कर दिया गया है. इसमें से 1808 सस्पेंशन में से लगभग 1600 सस्पेंडर बन चुके हैं. उनको पुल के एक किनारे से लगाने का काम शुरू कर दिया गया है. पुल के दोनों तरफ से 8 मीटर के सेगमेंट जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया, जिसमें करीब 80 मीटर का काम हो चुका है.

कुंवर सिंह असवाल ने कहा कि पुल का काम तेजी से नहीं हो पा रहा है क्योंकि दिन में हवा के कारण काम करने में मुश्किल होती है. उन्होंने कहा कि मार्च 2020 तक कार्य पूरा हो जाएगा.

पढ़ें-लाहौरी एक्सप्रेस में लूट की नाकाम कोशिश के बाद फिर बना रहे थे प्लान, चढ़े पुलिस के हत्थे

कब क्या हुआ

  • टिहरी झील बनने के बाद प्रतापनगर के लोगों ने आवाजाही की समस्या की वजह से 2005 में रोलाकोट के भोमेश्वर महादेव मंदिर में 150 दिनों तक धरना प्रदर्शन किया.
  • उसके बाद सरकार ने 99 करोड़ की लागत से पुल को 2 साल के अंदर बनाने का कॉन्ट्रेक्ट दिया.
  • 2006 में पुल का काम चंडीगढ़ की गुप्ता कंपनी ने शुरू किया.
  • बजट की कमी की वजह से कंपनी ने काम बंद कर दिया.
  • सरकार ने कंपनी के कहने पर बजट 135 करोड़ बढ़ाया और पुल का काम फिर शुरू हुआ.
  • कुछ समय बीत जाने के बाद गुप्ता कंपनी ने पुल का डिजाइन फेल होने की वजह से काम बंद कर दिया.
  • कोरिया की एक कंसलटेंट कंपनी के माध्यम से डिजाइन बनवाया गया.
  • उसकी देखरेख में इस समय पुल का काम धीमी गति से चल रहा है.

इस पुल का निर्माण टिहरी झील के ऊपर डोबरा चांठी नाम की जगह पर बनाया जा रहा है. इस पुल की लंबाई 440 मीटर है. इस पर 247 मीटर अलग से फ्लाई ओवर होगा. इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 834 मीटर है. राज्य ही नहीं देश का यह पहला झूला पुल है जो 440 मीटर लंबे है. इसकी क्षमता 332 टन आंकी गई है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details