टिहरीः नवरात्रि पर चारों ओर माता के जयघोष गूंजते रहे. जिले के सभी भागों में भक्तों ने विधि-विधान से मां के विविध रूपों की आराधना की. इसी क्रम में टिहरी जिले के सिद्ध पीठ चंद्रबदनी मंदिर में भी आस्था का सैलाब उमड़ा. नौ दिनों तक विविध कार्यक्रम हुए. दूर-दूर से यहां भक्त पहुंचे. अत्यंत नैसर्गिक वातावरण में इस मंदिर की आस्था से जुड़ी अनेक कहानियां हैं, जोकि भक्त खुद बताते हैं. माता का दरबार चमत्कारों से भरा पड़ा है.
हिंडोला खाल विकासखंड में समुद्र तल से 8000 फीट की ऊंचाई पर चंद्रकूट पर्वत पर स्थित है. स्कंद पुराण केदारखंड में इसे भुनेश्वरी पीठ नाम से भी जाना जाता है. यहां पर श्रद्धालुओं के लिए नेखरी में गढ़वाल मंडल विकास निगम का पर्यटक आवास गृह है.
यहां जाने के लिए ऋषिकेश से 106 किलोमीटर देवप्रयाग होते हुए पहुंचते हैं और नई टिहरी से 7 किलोमीटर दूरी पर अंजनिसेन होते हुए नेखरी से जाते हुए यहां तक पहुंचते हैं.
बताया जाता है कि यहां पर जो भी लोग भक्ति भाव से अपनी मन्नत मांगने आते हैं वह पूर्ण होती है. माता के मंदिर में पूजा अर्चना के लिए कंदमूल, फल, अगरबत्ती, धूपबत्ती, चांदी के छत्र चढ़ावे के रूप में समर्पित करते हैं. लोगों का कहना है कि वास्तव में चंद्रबदनी मंदिर में एक आलोकित आत्म शक्ति मिलती है. इसी आत्म शक्ति को तलाशने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु मां के दर्शन करने आते हैं. चंद्र पर्वत से चारों तरफ सुंदर सा हिमालय और पहाड़ियां दिखती हैं.
बताया जाता है कि जगतगुरु शंकराचार्य की यह तपस्थली भी रही है. श्री यंत्र से प्रभावित होकर अलकनंदा नदी के दाहिने ओर उत्तर में रमणीक चंद्रकूट पर्वत पर चंद्रबदनी शक्तिपीठ की स्थापना की थी. मंदिर में चंद्रबदनी की मूर्ति नहीं है. देवी का यंत्र श्री यंत्र की पूजा की जाती हैं.
मंदिर के गर्भ गृह में एक इलाका उत्कीर्ण यंत्र के ऊपर चांदी का एक बड़ा क्षेत्र स्थित है. पुराण के अनुसार केदारखंड में चंद्रबदनी का विस्तृत वर्णन मिलता है. बागेश्वर जिले में शनिवार को अष्टमी के साथ ही रामनवमी धूमधाम से मनाई गई. चार साल बाद बन रहे शुभ संयोग पर आज पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थसिद्धि, धृति, मित्र और बुधादित्य योग के शुभ संयोगों में अष्टमी संग रामनवमी मनाई गई.