टिहरीः करीब 20 साल के लंबे इंतजार के बाद बांध प्रभावित 415 परिवारों की मांगें पूरी होने जा रही है. प्रभावितों के विस्थापन के मुद्दे पर टीएचडीसी और भारत सरकार के बीच सहमति बन गई है. जिसके तहत टीएचडीसी की ओर से प्रभावित पात्रों को नकद धनराशि और विस्थापन के लिए जरूरी चीजें दी जाएगी. वहीं, विस्थापन की मांग पूरी होने पर ग्रामीणों में खुशी का माहौल है.
बता दें कि टिहरी झील से प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन के मामले में एक बैठक हुई थी. जिसमें भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, ऊर्जा सचिव, टिहरी जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव और टीएचडीसी के अधिकारियों शामिल हुए थे. जिसमें बांध प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन पर सहमति बनी और टीएचडीसी ने टिहरी झील को 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति मांगी.
टिहरी बांध प्रभावित 415 परिवारों की विस्थापन की मांग पूरी. ये भी पढ़ेंःटिहरी झील में भर रही गाद, लोगों ने परियोजना की लाइफ पर उठाए सवाल
उत्तराखंड सरकार एवं जिला प्रशासन ने बताया कि जैसे ही टीएचडीसी के अधिकारियों की ओर से प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन पर कार्यवाही की जाएगी. उसी के आधार पर टिहरी झील को 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति मिलेगी. वहीं, यह सहमति बनने के बाद प्रभावित 415 परिवारों में उत्साह का माहौल है. ग्रामीणों ने मांग की है कि टीएचडीसी को झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति तब तक न दी जाए, जब तक प्रभावितों को जमीन उपलब्ध नहीं करवाया जाता.
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जिलाधिकारी व पुनर्वास निदेशक ईवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि बैठक में कुछ बिंदुओं पर सहमति बनी है. टिहरी बांध परियोजना की ओर से संपार्श्विक क्षति में जिनकी पात्रता स्वीकृत है, उन्हें नगद धनराशि और बाकी विस्थापन के लिए जो जरूरी है, वह दी जाएगी. साथ ही कहा कि परियोजना की ओर से भुगतान किया जाता है तो जलस्तर बढ़ने की अनुमति दी जा सकती है. ऐसा निर्णय सरकार की ओर से लिया गया है.
उन्होंने कहा कि उसके अनुसार ही प्रक्रिया चल रही है. विस्थापन के लिए पुनर्वास विभाग की ओर से टीएचडीसी से मांग की जा रही है, जैसे ही टीएचसीसी की ओर से मांग पूरी कर दी जाएगी तो भारत सरकार के दिशा निर्देश पर टेक्निकल स्तर जलस्तर बढ़ाने को लेकर सरकार को आख्या दी जाएगी. उसके बाद जलस्तर बढ़ाने की अनुमति मिलेगी.
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डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि अधिकतर परिवारों की पात्रता बन चुकी है. ग्रामीणों को पेड़ों और भवनों आदि का भुगतान कर दिया गया है. जो शेष पात्रता बननी है, उन्हें हफ्ते दस दिन में बनाकर तैयार किया जाएगा. इसके अलावा ग्रामीणों के अकाउंट नंबर, आधार कार्ड नंबर सब इकट्ठा किया जा चुका है. अब सहमति के आधार पर विस्थापित परिवारों के लिए भारत सरकार से जमीन पुनर्वास विभाग के कब्जे में आने बाकी हैं.