उत्तराखंड

uttarakhand

राजराजेश्वरी मंदिर में मौजूद है मां दुर्गा का शस्त्र, त्रिपुर सुंदरी स्वरूप के दर्शन भर से दूर होते हैं कष्ट

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 24, 2023, 6:29 PM IST

Shaktipeeth Rajarajeshwari Temple Tehri शारदीय नवरात्रि के समापन पर टिहरी के शक्तिपीठ राजराजेश्वरी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही. मंदिर में आज भी मां दुर्गा का शस्त्र मौजूद है. कहा जाता है कि शक्तिपीठ राजराजेश्वरी मंदिर चूलागढ़ 10 महाविद्या में से एक त्रिपुर सुंदरी का स्वरूप है. यहां देवी के दर्शनभर से लोगों की कष्ट दूर होते हैं.

rajarajeshwari temple
राजराजेश्वरी मंदिर

टिहरीःदेशभर में आज विजयादशमी की धूम है. इसके साथ ही शारदीय नवरात्रि का समापन भी हो गया है. शारदीय नवरात्रों के दौरान देशभर के साथ-साथ प्रदेशभर के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही. टिहरी जिले के चूलागढ़ स्थित शक्तिपीठ मां राजराजेश्वरी मंदिर में शारदीय नवरात्रि के समापन के दौरान भक्तों की भारी भीड़ रही. भक्तों ने देवी की पूजा-अर्चना कर माता का आशीर्वाद लिया. मान्यता है कि मंदिर में देवी के दर्शनभर से कष्ट दूर होते हैं. शक्तिपीठ राजराजेश्वरी मंदिर में पौराणिक शिल्प पर आधारित मंदिर के नव निर्माण को लेकर लोगों में उत्सुकता भी देखी गई.

बताया जाता है कि पौराणिक शक्तिपीठ राजराजेश्वरी मंदिर चूलागढ़ 10 महाविद्या में से एक त्रिपुर सुंदरी का स्वरूप है. कहा जाता है कि मां दुर्गा द्वारा देवासुर संग्राम के दौरान आकाशमार्ग से विचरण करते हुए अज्ञात धातु से बना एक शक्ति शस्त्र (तलवार जैसा हथियार) चूलागढ़ की पहाड़ी पर गिरा था. मंदिर के गर्भ ग्रह में विद्यमान शस्त्र भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार लाखों वर्ष पुराना है. स्कंद पुराण के केदारखंड में इसका उल्लेख है. मां राजराजेश्वरी का मंदिर चूलागढ़ के मणिद्वीप आश्रम में स्थित है.
ये भी पढ़ेंःजौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में पाइंता पर्व की धूम, सिरगुल और विजट देवता के दर्शनों के लिए उमड़ा सैलाब

बताया जाता है कि कनक वंश के राजा सत्यसिंध छत्रपति ने 14 वीं सदी में राजराजेश्वरी मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था. मंदिर में रावल पुजारी द्वारा पूजा की जाती है, जो मान्दरा गांव के नौटियाल वंश के हैं. मंदिर में सेवा का काम केपार्स गडरो गांव के चौहान परिवारों द्वारा किया जाता है. नवरात्रि में जात (देवी की विशेष पूजा) के दौरान छतियारा के गड़वे (माता के दास) द्वारा ढोल दमाऊ बजाया जाता है. मंदिर चूलागढ़ पर्वत पर लगभग 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details