टिहरी: उत्तराखंड में टिहरी बांध परियोजना के बढ़ते कदम के साथ आज एक ओर उपलब्धि जुड़ गई है. टीएचडीसीआईएल ने टिहरी डैम के पंप स्टोरेज प्लांट में 250 मेगावाट की पहली टरबाइन के रनर को सफलतापूर्वक लगा दिया है. इसे टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट के निर्माण की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है. टिहरी बांध परियोजना में देश की पहली और दुनिया की तीसरी टरबाइन की रनर स्थापित की गई है.
टीएचडीसीआईएल के कार्यकारी निदेशक और पीएसपी परियोजना प्रमुख एलपी जोशी ने बताया कि टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट टीएचडीसीआईएल की एक निर्माणाधीन परियोजना है. टिहरी पीएसपी परियोजना में 250 मेगावाट की चार टरबाइन हैं, जो मिलकर कुल 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती हैं. टीएचडीसीआईएल ने टिहरी पीएसपी की 250 मेगावाट की पहली टरबाइन के रनर की स्थापना का कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. इसे टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट के निर्माण की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है. भारत के किसी प्रोजेक्ट में ये पहली रनर लगी है. इसके पहले फ्रांस और स्विट्जरलैंड में ही लगी है.
टिहरी डैम में देश की पहली टरबाइन रनर स्थापित. पढ़ें- उत्तराखंड को आर्थिक ही नहीं बिजली संकट से उबारेगा ये फैसला, PM मोदी पर टिकी निगाहें टीएचडीसीआईएल में लगी रनर वैरिएबल स्पीड पर काम करती है, जो अपने आप में खास है. बता दें कि टिहरी बांध परियोजना 2400 मेगावाट की है, जिसमें से एक हजार मेगावाट मुख्य बांध और 400 मेगावाट कोटेश्वर बांध से बिजली उत्पादन हो रहा है. जबकि एक हजार मेगावाट की पीएसपी परियोजना का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था. इस परियोजना में पीएसपी का सिविल कार्य एचसीसी, हाइड्रो और इलेक्ट्रोमैकेनिकल का कार्य जीई हाइड्रो फ्रांस एवं जीई पावर इंडिया कंपनी कर रही है.
पानी को रिसाइकिल कर बिजली का उत्पादन:एक हजार मेगावाट की पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) के निर्माण से कोई भी गांव प्रभावित नहीं हुआ है. परियोजना के मुख्य बांध के अंदर ही विभिन्न सुरंगों और अन्य निर्माण किया जा रहा है. साथ ही टिहरी और कोटेश्वर बांध से बिजली उत्पादन से निकालने वाले पानी को रिसाइकिल कर बिजली का उत्पादन किया जाएगा. परियोजना का निर्माण पूरा होने से देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी होने के साथ ही टीएचडीसी के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ जाएगी.
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एक हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन: इससे जहां एक हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, वहीं स्थानीय लोगों को लाभ होगा. बिजली उत्पादन से मिलने वाले राजस्व की दो फीसदी धनराशि सीएसआर मद से बांध प्रभावित क्षेत्र के विकास कार्यों पर खर्च की जाएगी. टिहरी बांध परियोजना के डाउनस्ट्रीम में स्थित कोटेश्वर बांध की झील से अपस्ट्रीम में स्थित टिहरी बांध झील में जल को पंपिंग कर पहुंचाया जाएगा, जिससे चार टरबाइनों को चलाकर बिजली उत्पादन किया जाएगा. बिजली उत्पादन ग्रिड की मांग के अनुसार होगा.
2016 से चल रहा है काम: टीएचडीसी को 2016 में पीएसपी का निर्माण करना था, लेकिन विभिन्न तकनीकी और स्थानीय दिक्कतों के कारण पीएसपी पूरी नहीं हो पाई. यदि अब सब कुछ ठीकठाक रहा तो टीएचडीसी दिसंबर 2022 तक निर्माण कार्य पूरा कर बिजली उत्पादन शुरू कर देगी. इसके लिए इन दिनों तेजी से काम किया जा रहा है.