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टिहरी: बोट संचालकों के आगे आर्थिकी का संकट, सरकार से लगाई गुहार

टिहरी झील में बोट संचालकों के आगे रोजी-रोटी की समस्या गहरा गई है. कोरोना की नई गाइलाइन के बाद सैलानियों का आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखाना आवश्यक किया गया है. जिससे सैलानी की संख्या में कमी देखी जा रही है.

Tehri Lake
बोट संचालक के आगे आर्थिकी की समस्या

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Published : Jul 21, 2021, 2:25 PM IST

टिहरी: प्रदेश में प्रशासन ने कोरोना नियमों को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है, ऐसा बीते दिनों पर्यटक स्थलों पर भारी भीड़ को देखते हुए किया गया है. साथ ही सरकार ने कोरोना को लेकर नई एसओपी जारी की है, जिससे सैलानियों को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य किया है. वहीं, सरकार के इस फरमान का अब पर्यटन व्यवसाय पर भी असर पड़ने लगा है. जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के आगे रोजी-रोटी की समस्या गहरा गई है.

टिहरी झील को वॉटर स्पोर्ट्स डेस्टिनेशन के रूप में भी जाना जाता है. जिसका आनंद लेने के लिए देश-विदेश के पर्यटक यहां पहुंचते हैं. जिससे कई स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मिलता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते पिछले साल से टिहरी झील में वाटर स्पोर्ट्स बंद था जिस कारण स्थानीय बेरोजगारों व बोट संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था. वर्तमान समय में जैसे ही लॉकडाउन में छूट मिली तो दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान सहित कई अन्य राज्यों से पर्यटक टिहरी का रुख कर रहे थे.

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वहीं, बीते दिनों मसूरी और नैनीताल में सैलानी जिस प्रकार कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करते दिखाई दिए. जिसके बाद सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. जिसके बाद से एक बार फिर टिहरी में बोट संचालकों के आगे आर्थिकी की समस्या पैदा हो गई है. प्रदेश में नई एसओपी में सैलानियों को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य और 50-50 लोगों को एक साथ जाने की अनुमति है. जैसे ही नई एसओपी जारी हुई तो पर्यटक स्थलों में पर्यटकों का आना कम हो गया और आज टिहरी झील में बहुत कम पर्यटक पहुंच रहे हैं.

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जिससे बोट संचालकों के सामने फिर से रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया और बोट की किश्त चुकाने तक देने तक के लाले पड़ गए हैं. बोट संचालकों ने मांग की है कि उत्तराखंड सरकार को कुछ छूट देनी चाहिए जिससे, उनके रोजगार पर असर न पड़े.

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