टिहरी: भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा घटिया तरीके से बनाई जा रही ऑल वेदर रोड जगह-जगह टूटने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लग रहा है. स्थानीयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऑल वेदर रोड (All Weather Road) निर्माण की गुणवत्ता को लेकर जांच की मांग की है.
पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता: पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड, जिसे चारधाम सड़क परियोजना के नाम से भी जाना जाता है, के तहत ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 94 के अंतर्गत चंबा टनल के आसपास भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा घटिया निर्माण किया गया है, जिसकी वजह से ऑल वेदर रोड 4 महीने पहले एक बारिश भी नहीं झेल सकी और पूरी तरह से यह सड़क धंसकर मटियामेट हो गई.
निर्माण कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं: वहीं, आश्चर्य की बात है कि 4 महीने बीतने के बाद भी अभी तक इस सड़क को बनाने का कार्य शुरू नहीं किया गया और न ही घटिया निर्माण करने वाली भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई की गई. भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी ऑल वेदर रोड का घटिया निर्माण करके पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को पलीता लगाने का काम कर रही है, जिससे चारधाम पर आने वाले यात्रियों को इस सड़क का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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पहली बरसात में टूटी सड़क: टिहरी जिला मुख्यालय अंतर्गत ऋषिकेश से कांडीसोड तक ऑल वेदर रोड पर हो रहे घटिया निर्माण के चलते यह पहली बरसात भी नहीं झेल सकी. जगह-जगह सड़क का कई हिस्सा धंस गया है. सड़क पर गहरी दरारें आ गई हैं. ऑल वेदर रोड निर्माण कार्य में केवल यही नहीं, कई और जगहों पर भी गुणवत्ता के मामले में सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में सवाल यही उठता है कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को कैसे निर्माण करने वाली संस्थाएं पलीता लगाने में जुटी हुई है.
इससे पहले भी बरसात की शुरुआत होते ही ऑल वेदर रोड तेज बारिश में कई जगह धराशायी हो गई थी. टिहरी के फकोट में इस रोड को काफी नुकसान हुआ था. सड़क पर न केवल पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर नीचे आ गए थे, बल्कि सड़क का एक बड़ा हिस्सा फट भी गया था. राज्य में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़ने वाली इस परियोजना में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बारिश के कारण परियोजनाओं को खासा नुकसान हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर हर साल बरसात की मार पड़ रही है.
कितनी जरूरी है ऋषिकेश-गंगोत्री ऑल वेदर रोड:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में उत्तराखंड में सबसे बड़ा काम अब तक केदारनाथ के बाद ऑल वेदर रोड का हुआ है, लेकिन जिस तरह से ऑल वेदर रोड का नाम है वैसा उसमें काम नहीं है. जरा सी बरसात में जगह-जगह से सड़कें टूटी हुई हैं. आलम ये है कि बरसात के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं. ऋषिकेश से गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जाने वाली ऑल वेदर रोड इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यही रोड टिहरी, उत्तरकाशी के साथ-साथ गंगोत्री तो जाती ही है साथ ही भारत-चीन सीमा पर भी इसी सड़क के माध्यम से रसद पहुंचाई जाती है.
हालांकि, नीति-माणा घाटी में तैनात सैनिकों के लिए ऋषिकेश से चमोली गोपेश्वर मार्ग भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 3 बड़े शहरों के साथ-साथ लगभग 45 से अधिक छोटे बड़े गांव हैं, जिनमें गढ़वाल का मुख्य हिस्सा निवास करता है. ऐसे में यह सड़क अगर टूटती है तो न केवल पर्यटन बल्कि स्थानीय लोगों को भी इसका नुकसान होता है. इसके साथ ही सीमा पर जाने वाली रसद और दूसरे सामान भी मुश्किल से पहुंचते हैं. इस मार्ग पर चार धाम सीजन में लगभग रोजाना 3000 से अधिक छोटे-बड़े वाहन दौड़ते हैं.
ऋषिकेश जोशीमठ बदरीनाथ ऑल वेदर रोड
- ऋषिकेश से बदरीनाथ के लिए जाने वाली यह सड़क सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.
- भारत-चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए यही एक सबसे बड़ा मार्ग जिसके माध्यम से वह हथियार, रसद और बड़े वाहन इसी मार्ग से लेकर जाते हैं.
- इस मार्ग पर ऋषिकेश, श्रीनगर, कर्णप्रयाग, देवप्रयाग, गोपेश्वर, जोशीमठ जैसे बड़े स्थान मौजूद हैं.
- इतना ही नहीं, बदरीनाथ-केदारनाथ जैसे धामों में भी इसी सड़क के माध्यम से पहुंचा जाता है.
- इस मार्ग पर लगभग रोजाना 6000 से अधिक वाहन दौड़ते हैं.
- गढ़वाल का मुख्य हिस्सा होने के साथ ही इस मार्ग से जुड़ी आबादी भी 40 लाख से अधिक है.
अब जानते हैं क्या है ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट:ये केंद्र की मोदी सरकार का एक प्रोजेक्ट है, जिसे चारधाम प्रोजेक्ट भी कहते हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले दिसंबर 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया था. इसके तहत उत्तराखंड के चारों धामों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को आपस में जोड़ने की योजना है.