टिहरी:कोरोना महामारी की रोकथाम और बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने कई युवाओं का रोजगार छीन लिया था. बेरोजगार हुए ये प्रवासी बड़ी संख्या में अपने गांव पहुंचे थे. यहां भी इनके सामने रोजी-रोटी पर का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में इन युवाओं ने अपनी आजीविका चलाने के लिए स्वरोजगार को अपनाया है.
लॉकडाउन में आशीष डंगवाल ने पशुपालन से बदली माली हालत. ऐसा ही एक युवा प्रवासी हैं आशीष डंगवाल, जो थौलधार ब्लॉक के तिवार गांव का रहने वाला है. डंगवाल सिंगापुर के एक होटल में शेफ का काम करता थे. लेकिन कोरोना महामारी ने उसकी भी नौकरी भी छीन ली. डंगवाल सिंगापुर में हर महीने करीब 80 से 90 हजार रुपए महीने कमाता थे. लेकिन लॉकडाउन में वे बेरोजगार हो गए थे. लेकिन आशीष ने हिम्मत नहीं हारी और स्वदेश लौटकर पशु पालन का काम शुरू किया.
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आशीष ने घर पर ही पशु पालन करते हुए एक दर्जन बकरियां, 6 मुर्गियां और एक गाय ली. जिसके जरिए उन्होंने अपना स्वरोजगार का काम शुरू किया. आशीष डंगवाल की देखादेखी कई अन्य युवाओं ने भी स्थानीय साधनों के जरिए अपना कुछ नया काम शुरू किया. डंगवाल की इस पहल से कई युवाओं को प्रेरणा मिली है.
आशीष डंगवाल घर में सबसे छोटे हैं. उनके माता-पिता काफी समय पहले गुजर चुके हैं. घर में दिव्यांग भाई और भाभी है. उनकी देखरेख का जिम्मा भी उन्हीं पर है. आशीष डंगवाल ने कहा कि उनके जैसे कई प्रवासी इस संकट में घड़ी में अपने घर लौट आए. ऐसे में सभी प्रवासियों को स्वरोजगार से जुड़ना चाहिए. इसके लिए सरकार उनकी मदद कर रही है.