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धनौल्टीः जंगलों को आग से बचाने के लिए प्रशासन ने कसी कमर, तैयार की रणनीति - उत्तराखंड के जंगलों में आग

उत्तराखंड के जंगलों में प्रतिवर्ष वनाग्नि से भारी मात्रा में वन संपदा का नुकसान होता है. अब प्रशासन ने वन पंचायत और महिला स्वयं सहायता समूह के साथ विशेष रणनीति बनाते हुए वन पंचायतों को उनके अधिकार बताए.

प्रशासन ने कमर कसी
प्रशासन ने कमर कसी

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Published : Feb 6, 2020, 11:06 AM IST

धनौल्टीः उत्तराखंड में फायर सीजन को देखते हुए प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं ताकि वन संपदा को आग से बचाया जा सके. इसी क्रम में थौलधार विकासखंड मुख्यालय सभागार में वन विभाग द्वारा वनाग्नि सुरक्षा गोष्ठी का आयोजन किया गया. वहीं, टिहरी रेंज के रेंज अधिकारी आशीष डिमरी की अध्यक्षता में हुई गोष्ठी में अधिकारियों द्वारा वन पंचायत सरपंचों एवं महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों से वनाग्नि नियंत्रण पर विस्तृत चर्चा की गई.

जंगलों को आग से बचाने के लिए प्रशासन मुस्तैद.

गोष्ठी में 15 फरवरी से शुरू हो रहे फायर सीजन के दौरान जंगलों को आग से बचाने एवं आग लग जाने की स्थिति में त्वरित नियंत्रण करने को लेकर विचार-विमर्श हुआ और सुरक्षा नीति तैयार की गई. रेंज अधिकारी ने गोष्ठी में गांवों की महिला स्वयं सहायता समूहों की उपस्थिति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह वन पंचायत का सहयोग करके वनाग्नि रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इससे वन विभाग द्वारा की जाने वाली मजदूरी भुगतान से समूह की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है.

रेंज अधिकारी डिमरी ने कहा कि टिहरी रेंज में 136 वन पंचायतें एवं 206 गांव हैं. लगभग प्रत्येक गांव में महिला स्वयं सहायता समूह मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि वह वनाग्नि नियंत्रण फंड से महिला समूहों को धनराशि देगें जिसके लिए पैमाना तय किया जाता है कि प्रथम स्थान पर उस समूह को रखा जाएगा जिसके क्षेत्र में वनों में आग ही नहीं लगने दी जाएगी. उन्हें 10 हजार रूपये तक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. द्वितीय स्थान पर उस समूह को रखा जाएगा जो वनाग्नि की स्थिति में त्वरित अग्नि नियंत्रण करेगा. इसके लिए समूहों को वन पंचायत सरपंच एवं सचिव के सम्पर्क में रहना होगा एवं कार्य की त्वरित सूचना देनी होगी.

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रेंज अधिकारी ने वन पंचायत सरपंचों से कहा कि वे सक्रिय रहें. किसी भी वन उपज व खनन के अवैध दोहन को रोक सकते हैं या अगर उनके इस कार्य में कोई ऐतराज करता है तो वे उच्चाधिकारियों को सूचित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि वनाग्नि रोकने, वनीकरण करने, अपने वन क्षेत्र के लिए माइक्रोप्लान बनाने आदि की जिम्मेदारी व कर्तव्य वन पंचायतों का है. सभी लोग वनाग्नि रोकना प्राथमिकता में रखें. इस अवसर पर आरओ आशीष डिमरी, वन पंचायत संगठन के प्रदेश अध्यक्ष एन एस तोमर, प्रशिक्षु आरओ हरेन्द्र रावत, फॉरेस्टर सत्येन्द्र चौहान, रणबीर रावत आदि मौजूद रहे.

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