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रोजमेरी और डेंडेलियान की सुगंध से महका रुद्रप्रयाग, महिलाओं को मिला रोजगार - Jagat Prakash saving wild environment

उत्तराखंड की आबोहवा जड़ी-बूटी के लिए आदर्श है. यहां इसीलिए जड़ी-बूटियां बहुतायत में उगती और उगाई जाती हैं. अब रुद्रप्रयाग जिले में विदेशों में उगने वाले रोजमेरी व डेंडेलियान मेडिसिनल प्लांट की खेती की जा रही है. इससे न सिर्फ स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिला है, बल्कि राज्य की आर्थिकी को लाभ मिलने की उम्मीद भी है.

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Published : Sep 6, 2021, 2:13 PM IST

Updated : Sep 6, 2021, 6:18 PM IST

रुद्रप्रयाग:विदेशों में जिन जड़ी-बूटियों की पत्तियों का इस्तेमाल चाय में करके लोग चुस्त-दुरुस्त रहते हैं, अब वही चाय आपको रुद्रप्रयाग जिले में भी आसानी से मिल जायेगी. इसके लिए वृहद स्तर पर तैयारी चल रही है. इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है और 100 से अधिक महिलाओं को इससे रोजगार मिला है. साथ ही ग्रामीण इलाकों में हो रहे पलायन पर भी अंकुश लगा है.

दरअसल, ग्रामीण इलाकों में सबसे बड़ी समस्या आज पलायन की हो गयी है. ऐसे में जरूरी है कि इन इलाकों में ऐसे प्रयोग किये जायें, जो रोजगार के साथ ही लोगों की आजीविका का भी साधन बन सकें. रानीगढ़ पट्टी क्षेत्र में पलायन को रोकने के लिए कोट-मल्ला में एक सफल प्रयोग करते हुए मिशन सुगंधित औषधीय पादप शुरू हो चुका है.

रोजमेरी और डेंडेलियान से रोजगार

जंगली के प्रयास ला रहे रंग: पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली के अथक प्रयासों और कृषि विभाग रुद्रप्रयाग के सहयोग से औषधीय गुणों से भरपूर रोजमेरी तथा डेंडेलियान के पौधों का रोपण गांव के किसानों की आर्थिकी सुधार एवं पलायन पर रोक लगाने के लिए एक हेक्टेयर भूमि में ग्रामीण महिलाओं के साथ शुरू किया गया है. रोजमेरी जैसे महत्वपूर्ण पादप पर काम कर रहे मैन ऑफ रोज मेरी अजय पंवार की संस्था धार विकास की ओर से कोट मल्ला के ग्रामीणों को रोजमेरी की पौध उपलब्ध कराई गई हैं. साथ ही ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है.

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रोजमेरी व डेंडेलियान औषधीय पादपों की डिमांड राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय बाजार में बहुतायत में है. इनमें प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण पाये जाते हैं. इनका प्रयोग ग्रीन टी, तनाव कम करने तथा विभिन्न दवाइयों को बनाने में किया जाता है.

डीएम ने भी की तारीफ: जिलाधिकारी मनुज गोयल भी कोट-मल्ला पहुंचकर महिलाओं के प्रयास की प्रशंसा कर चुके हैं. उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि उनकी हरसंभव मदद की जायेगी. उन्होंने ग्रामीणों को सोलर ड्रायर मशीन देने का वायदा किया है, जिससे पौधे, फूल और जड़ों को सुखाकर पैकेजिंग में सुविधा हो सके.

कोट-मल्ला में डेंडेलियान की 40 हजार व रोजमेरी की 30 हजार पौध लगाई गई हैं. इन पौधों की देखभाल का जिम्मा भी ग्रामीणों को सौंपा गया है. क्षेत्र की महिलाएं औषधीय प्लांट को लेकर काफी उत्साहित हैं. क्षेत्र की 100 से अधिक महिलाएं इस पर कार्य कर रही हैं.

मेडिसिनल प्लांट की मार्केट में बहुत डिमांड: डेंडेलियान और रोजमेरी की राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय मार्केट में डिमांड है. ये विदेशी पौंधे हैं. डेंडेलियान की जड़ तीन सौ रुपए किलो बिकती है. इसका प्रयोग शारीरिक क्षमता बढ़ाने, तनाव को दूर करने, रक्तचाप, शुगर लेवल बैलेंस करने में किया जाता है. इसकी फूल व पत्ती भी बिकती हैं. इनका प्रयोग चाय के लिए होता है, जबकि मेडिसिन में भी किया जाता है.

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रोजमेरी का उपयोग ग्रीन टी में करते हैं: रोजमेरी का उपयोग ग्रीन टी में किया जाता है. इस चाय का फाइव स्टार होटलों में यूज होता है. लीवर को स्वस्थ रखने के लिए इसकी चाय काफी लाभदायक है. पाचनतंत्र, स्किन और शरीर में एनर्जी रहती है. वजन घटाने में भी काफी लाभदायक है. रोजमेरी की फसल डेढ़ साल में तैयार हो जाती है. डेंडेलियान की पत्तियां छः माह में तैयार हो जाती हैं. विदेशों में जहां इनकी फसल होती है, वहां मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले लोग इसकी खुशबू सूंघा करते हैं. इससे शरीर स्वस्थ रहता है.

स्वरोजगार से जुड़ीं 100 महिलाएं: पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली ने बताया कि सुगंधित औषधीय पादप प्रोजेक्ट कोट मल्ला में 100 ग्रामीण महिलायें काम कर रही हैं. महिलाओं में इस योजना को लेकर बहुत उत्साह है. ग्रामीण लोग बढ़-चढ़कर अपने खेतों में रोजमेरी के पौधों को लगा रहे हैं. यदि हमें पहाड़ों से पलायन को रोकना है तो ऐसे प्रोजेक्ट के माध्यम से ग्रामीणों को जोड़कर स्वरोजगार उत्पन्न करना होगा, जिससे लोग अपनी जमीन और गांव से जुड़े रहें.

जंगली जानवरों के कारण खेती छोड़ रहे लोग: उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों से काफी मात्रा में नुकसान हो रहा है. इस कारण लोग अपने खेत-खलिहान छोड़ने को मजबूर हैं. ऐसे में रोजमेरी और डेंडेलियान की खेती वरदान साबित होगी. एरोमेटिक होने के कारण रोजमेरी को कोई भी जानवर नुकसान नहीं पहुंचाता है. कम पानी में भी यह खेती सफल बनाई जा सकती है. साथ ही इस योजना का प्रचार-प्रसार किया जाएगा, जिससे अन्य ग्रामीणों को भी इस योजना का लाभ मिल सके.

लैवेंडर फूल की पौध भी लगेगी: डेंडेलियान व रोजमेरी के सफल प्रयोग के बाद अब लैवेंडर फ्लावर की पौध भी लगाई जायेगी. यह पौध सिर्फ कश्मीर में होती है. इसकी मार्केटिंग भी बहुत अच्छी है. प्रयोग के तौर पर हरियाली क्षेत्र के ऊंचाई वाले इलाकों में पौध लगाई जायेगी. प्रयोग सफल होने के बाद ग्रामीणों को इससे रोजगार से जोड़ा जायेगा.

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सबसे सुगंधित फूलों में है लैवेंडर: लैवेंडर दुनिया में सबसे लोकप्रिय सुगंधों में से एक है. लैवेंडर फूल का प्रयोग तेल, साबुन से लेकर चाय में किया जाता है. ये नींद में सुधार, सूजन को कम करना, दिल की सेहत, आंत, पाचनतंत्र, सांस की सेहत के लिए अच्छा है. इससे मूड विकारों में सुधार होता है. त्वचा के लिए भी लैंवेंडर टी का प्रयोग किया जा सकता है.

Last Updated : Sep 6, 2021, 6:18 PM IST

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