उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

CORONA LOCKDOWN के बीच यहां आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं, स्वरोजगार से पा रही सफलता

इस वक्त देशवासी कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन झेल रहे हैं. कइयों को नौकरी खो जाने का डर है तो किसी को अपने स्वरोजगार की चिंता. लेकिन उत्तराखंड के इस गांव में महिलाएं लॉकडाउन के दौरान भी स्वरोजगार से सफलता पा रही हैं.

rpg news
rpg news

By

Published : Apr 29, 2020, 5:50 PM IST

रुद्रप्रयाग: कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लाॅकडाउन से रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. इससे उबरने के लिए जहां सरकार अभी तक कार्ययोजना बनाने तक ही सीमित है, वहीं जनपद रुद्रप्रयाग में सेवा इंटरनेशनल एक वर्ष पूर्व ही इस दिशा में कार्य प्रारम्भ कर चुकी है. संस्था ने हरेला प्रोजेक्ट के माध्यम से जनपद के दस गांवों की तीन सौ महिलाओं को विधिवत प्रशिक्षण देकर कृषि एवं उद्यान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया है. आज ये महिलायें जैविक सब्जी उत्पादन के साथ ही जैविक कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकी से उत्पादन कर स्वावलम्बी बनने की ओर अग्रसर हैं.

अगस्त्यमुनि ब्लाॅक मुख्यालय से लगी ग्राम पंचायत हाट में सेवा इन्टरनेशनल द्वारा 20 नाली भूमि पर एक जैविक कृषि प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है. जिसमें काश्तकारों को नकदी फसलों और बे-मौसमी सब्जियों के उत्पादन से सम्बन्धित प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें भूमि की तैयारी से लेकर बुवाई, कटाई, संसाधन, फसल सुरक्षा और बीज उत्पादन से लेकर गौमूत्र इत्यादि से जैविक दवाई बनाने के बारे में विस्तार से तकनीकी ज्ञान एवं प्रयोग के साथ समझाया जाता है.

जैविक खेती के गुर सीखती महिलाएं .

इस प्रशिक्षण केन्द्र में न केवल प्रशिक्षण बल्कि जैविक सब्जियों का उत्पादन भी किया जाता है, जिसे स्थानीय बाजार में बेचा जाता है. जनवरी 2019 में खुले इस प्रशिक्षण केन्द्र में अब तक जनपद के दस गांवों की तीन सौ महिलायें प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं. जबकि इस एक वर्ष में प्रशिक्षण केन्द्र लगभग एक लाख रुपये की सब्जियां बेच चुका है.

प्रशिक्षण केन्द्र के मास्टर ट्रैनर कैलाश गोस्वामी ने बताया कि प्रशिक्षण केन्द्र में चयनित गांव हाट, बष्टी, कण्डारा, अरखुण्ड, डांगी, सिनघाटा आदि ग्रामों की महिला समूहों को प्रशिक्षण दिया जाता है. अभी प्रत्येक गांव से तीन महिला समूहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण निःशुल्क होने के साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को भोजन एवं आवागमन की व्यवस्था भी की जाती है. अभी हम केवल नकदी फसलों एवं जैविक सब्जियों पर ही ज्यादा फोकस कर रहे हैं.

पढ़े: स्वास्थ्य सेवा में राज्य की ऊंची छलांग, CM ने शुरू की टेली-मेडिसिन और ई-हॉस्पिटल सेवा

सवा वर्ष में ही महिलाओं की सफलता और प्रशिक्षण केन्द्र का लाभ दिखने लगा है. संस्था से प्रशिक्षण ले चुकी गणेश स्वयं सहायता समूह कण्डारा की अध्यक्ष विमला देवी, आदर्श स्वयं सहायता समूह डडोली की अध्यक्ष सुनन्दा देवी, सेवा जागृति स्वयं सहायता समूह हाट की अध्यक्ष सुचित्रा देवी ने बताया कि संस्था से प्रशिक्षण लेकर हमारे समूह ने फूल गोभी, पत्ता गोभी, मटर, पालक, राई, अदरक, हल्दी एवं बड़ी इलाइची के उत्पादन में कदम रखा. पहले ही वर्ष में इसके उत्साहवर्द्धक नतीजे मिले हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details