रुद्रप्रयाग: इस बार केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं की फसल खराब हो गयी है. जिससे काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की बीमारी के साथ ही यहां के काश्तकार प्रकृति की दोहरी मार झेल रहे हैं. गेहूं की फसल के बुरी तरह प्रभावित होने से काश्तकारों को भविष्य की चिंता सताने लगी है. सीमान्त क्षेत्रों में भी पेड़-पौधों के सूखने से मवेशियों के लिए चारापत्ती का संकट बना हुआ है.
बता दें कि इस वर्ष मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से काश्तकारों की फसलें खासी प्रभावित हुई हैं. जिससे काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.काश्तकारों के अनुसार इस वर्ष मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से गेहूं, जौ, सरसों की फसलों के उत्पादन पर 70 प्रतिशत तक गिरावट आई है. काश्तकार गजपाल भट्ट ने बताया कि विगत वर्षों तक गेहूं के उत्पादन से लगभग 8 माह तक का गुजारा हो जाता था, मगर इस बार गेहूं की फसल के उत्पादन पर भारी गिरावट आने से मात्र दो माह के गुजर बसर करने के लिए गेहूं नसीब हो पाया है.