रुद्रप्रयागः तृतीय केदार के रूप में विश्व विख्यात और सबसे ऊंचाई पर स्थित भगवान तुंगनाथ मंदिर के प्रांगण में इन दिनों बेंगलुरू से आये हुए कटप्पा और स्थानीय स्तर के कटुआ पत्थर से सजावट की जा रही है. मंदिर के आगे प्रांगण तैयार किया गया है, जिससे यात्री यहां पर बैठ कर आराम से तुंगनाथ धाम के दर्शन कर सकें. तीन वर्षों से चल रहा कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है. मंदिर के आगे और पितृ शिला पर कटप्पा पत्थरों के बिछने से धाम की भव्यवता बढ़ गयी है.
तुंगनाथ धाम को वैसे तो तृतीय केदार के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह पर्यटन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. छह माह जब तुंगनाथ के कपाट बंद रहते हैं तो तब भी यहां हजारों की संख्या में पर्यटक बर्फबारी का दीदार करने के लिये पहुंचते हैं. तुंगनाथ धाम में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है. प्रत्येक वर्ष लाखों यात्री दर्शन के लिये तुंगनाथ धाम पहुंचते हैं. तुंगनाथ धाम में सेंचुरी वन अधिनियम लागू है, जिस कारण यहां के विकास पर असर पड़ा है.
मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिये जिला प्रशासन की ओर से यहां मंदिर प्रांगण का निर्माण किया जा रहा है. मंदिर प्रांगण में बेंगलुरू से आये कटप्पा और स्थानीय स्तर के कटुआ पत्थरों को बिछाया जा रहा है. पहले की तुलना में अब तुंगनाथ मंदिर काफी भव्य नजर आ रहा है.