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चारधाम यात्रा बंद होने से पर्यटक स्थलों का रुख कर रहे सैलानी, ये है खासियत - Chardham Yatra stopped from Corona

वैसे तो हिमालय के आंचल में बसा हर पैदल ट्रैक व पर्यटक स्थल बेहद खूबसूरत है, मगर मदमहेश्वर-पांडव सेरा-नन्दी कुंड पैदल ट्रैक पर सफर करने की अनुभूति ही अलग होती है. इस पैदल ट्रैक पर प्रकृति का नजदीकी से दीदार करने का मौका मिलता है.

Rudraprayag tourist places
रुद्रप्रयाग पर्यटन स्थल

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Published : Sep 11, 2021, 1:23 PM IST

रुद्रप्रयाग: देवभूमि उत्तराखंड की हसीन वादियों की बात ही कुछ अलग है. इसलिए पयर्टक यहां खिंचे चले आते हैं. वहीं कोरोना की दूसरी लहर के कारण चारधाम यात्रा स्थगित होने से क्षेत्र के सभी तीर्थ स्थल वीरान हैं. जबकि सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य प्रकृति की सुन्दर वादियों में बसे पर्यटक स्थल सैलानियों व प्रकृति प्रेमियों की आवाजाही से गुलजार हैं.

भले ही इन पर्यटक स्थलों के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेंचुरी वन अधिनियम बाधक बना है, मगर फिर भी सैलानी व प्रकृति प्रेमी अपने निजी संसाधनों के बलबूते मीलों पैदल चलकर प्रकृति की खूबसूरत छटा से रूबरू हो रहे हैं. इन दिनों त्रियुगीनारायण-पंवालीकांठा, चैमासी-खाम-मनणामाई, रांसी-शीला समुद्र-मनणामाई, मदमहेश्वर-पांडवसेरा-नन्दीकुंड, बुरुवा-टिंगरी-बिसुडीताल, चोपता-ताली-रौणी-बिसुणीताल पैदल ट्रैक सैलानियों व प्रकृति प्रेमियों की आवाजाही से गुलजार हैं.

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वैसे तो हिमालय के आंचल में बसा हर पैदल ट्रैक व पर्यटक स्थल बेहद खूबसूरत है, मगर मदमहेश्वर-पांडव सेरा-नन्दी कुंड पैदल ट्रैक पर सफर करने की अनुभूति ही अलग होती है. इस पैदल ट्रैक पर प्रकृति का नजदीकी से दीदार करने के साथ ही पांडवों के अस्त्र शस्त्र के दर्शन करने के साथ ही पांडव सेरा में पांडवों द्वारा बोई गई धान की लहलहाती फसल को भी देखने का सौभाग्य मिलता है. मदमहेश्वर-पांडव सेरा-नन्दी कुंड पैदल ट्रैक से वापस लौटे छह सदस्यीय दल ने बताया कि इन दिनों पैदल ट्रैक पर कुखणी, माखुणी, जया, विजया, बह्मकमल सहित अनेक प्रजाति के फूल खिले हैं.

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दल में शामिल मनोज पटवाल ने बताया कि मदमहेश्वर-पांडव सेरा-नन्दी कुंड पैदल ट्रैक बहुत ही कठिन है. मगर इन दिनों अनेक प्रजाति के पुष्पों के खिलने से वहां के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लगे हुए हैं. दल में शामिल हरिमोहन भट्ट ने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों में बारिश निरन्तर होने से द्वारीगाड़ का झरने का वेग उफान पर होने के कारण झरना बहुत खूबसूरत लग रहा है. मगर द्वारीगाड़ में पुल न होने से द्वारीगाड़ को पार करना जोखिम भरा है. दल में शामिल महावीर सिंह बिष्ट ने बताया कि लोक मान्यताओं के अनुसार जब पांचों पांडव द्रोपदी सहित केदारनाथ से मदमहेश्वर होते हुए बदरीनाथ गये तो उस समय उन्होंने पांडव सेरा में लंबा प्रवास किया था.

इसलिए पांडवों के अस्त्र शस्त्र आज भी उस स्थान पर पूजे जाते हैं. संजय गुसाईं ने बताया कि पांडव सेरा में पांडवों द्वारा बोई गयी धान की फसल आज भी अपने आप उगती है. मगर उस धान की फसल देखने का सौभाग्य परम पिता परमेश्वर की ईश्वरीय शक्ति से मिलता है. अमित चौधरी ने बताया कि नन्दी कुंड में चैखम्बा का प्रतिबिम्ब देवरिया ताल की तर्ज पर देखा जा सकता है, तथा नन्दी कुंड से सूर्यास्त व चन्द्रमा उदय के दृश्य को देखने से अपार आनन्द की अनुभूति होती है. सुभाष रावत ने बताया कि मदमहेश्वर धाम से पांडव सेरा लगभग 14 किमी तथा नन्दी कुंड लगभग 20 किमी दूर है. वहीं इन दिनों पूरा क्षेत्र विभिन्न प्रजाति के पुष्प खिले हुए हैं.

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