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Published : Nov 24, 2022, 8:46 PM IST

Updated : Nov 24, 2022, 10:37 PM IST

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चोपता से तुंगनाथ मार्ग पर शौचालय तक की व्यवस्था नहीं, पर्यटकों को हो रही भारी परेशानी

उत्तराखंड में इन दिनों में बर्फबारी का सीजन चल रहा है. ऐसे में बड़ी संख्या में पर्यटक बर्फबारी का आनंद लेने के लिए पहाड़ी स्टेशनों पर पहुंच रहे हैं. इस कड़ी में बर्फबारी का मजा लेने के लिए चोपता-तुंगनाथ आने वाले पर्यटन को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.

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चोपता आने वाले पर्यटकों को भारी परेशानी

रुद्रप्रयाग:तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट भले ही बंद हो गये हैं, लेकिन पर्यटक भारी संख्या में चोपता और तुंगनाथ पहुंच रहे हैं. जहां से पर्यटक चंद्रशिला भी जा रहे हैं, लेकिन चोपता से लेकर तुंगनाथ तक शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से पर्यटकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं, कपाट बंद होने के बाद चोपता से तुंगनाथ जाने वाले पर्यटकों से केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग कुछ धनराशि वसूलता है, लेकिन पर्यटकों को वन प्रभाग की ओर से किसी भी प्रकार की सुविधाएं नहीं दी जाती हैं. वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि पर्यटकों से ली जानी वाली राशि से बुग्यालों में साफ-सफाई की जाती है, लेकिन इसके अलावा कोई पर्यटकों को कोई अन्य सुविधा नहीं दी जाती है.

औली के बाद उत्तराखंड में चोपता काफी प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं. चोपता में साल भर बारिश होने की वजह से यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. चोपता को मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. खासकर सर्दियों में यहां बर्फबारी का आनंद लेने वाले पर्यटकों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है. दिसंबर और जनवरी में चोपता के होटल और लॉज की एडवांस बुकिंग हो जाती हैं.

चोपता आने वाले पर्यटकों को भारी परेशानी

चोपता से लगभग साढ़े तीन किमी की चढ़ाई पर तृतीय केदार तुंगनाथ धाम बसा हुआ है. गर्मियों में जब तुंगनाथ के कपाट खुलते हैं तो, यहां पहुंचने वाले शिव भक्तों का हुजूम उमड़ता है, लेकिन कपाट बंद होने के बाद भी तुंगनाथ में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या कम नहीं होती है. तुंगनाथ धाम धार्मिक क्षेत्र के अलावा बेहद ही खूबसूरत पर्यटक स्थल भी है. तुंगनाथ से लगभग एक किमी चढ़ाई चढ़ने के बाद चंद्रशिला टाॅप है.
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चंद्रशिला से प्राकृतिक वादियों के अलावा हिमालय को नजदीक से निहारा जा सकता है. यही कारण है कि वर्षभर यहां पर्यटक आते रहते हैं. तुंगनाथ धाम के कपाट भले ही बंद हो गए हैं, लेकिन फिर भी यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. वहीं, बर्फबारी होते ही चोपता-तुंगनाथ पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हो जाएगा, लेकिन यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को शौचालय से लेकर अन्य सुविधाओं के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

चोपता से लेकर तुंगनाथ धाम तक कही भी स्थाई शौचालय का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है. इसके अलावा पानी की भी यहां दिक्कतें हैं. सेंचुरी एरिया होने के कारण यहां अभी तक न तो संचार सुविधा है और न विद्युत. पर्यटक और चोपता के स्थानीय व्यापारी वर्षों से चोपता में शौचालय सहित पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई है.
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वहीं, दूसरी ओर चोपता-तुंगनाथ क्षेत्र केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अंतर्गत आता है. प्रत्येक वर्ष शीतकाल में तुंगनाथ जाने वाले पर्यटकों से वन विभाग कुछ धनराशि लेता है, लेकिन सुविधाएं किसी भी प्रकार की नहीं दी जाती हैं. शौचालय न होने के कारण पर्यटक खुले में शौच जाने को मजबूर होते हैं और इससे हिमालयी बुग्यालों व पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है.

चोपता-तुंगनाथ पहुंचे पर्यटकों का कहना है कि सर्विस चार्ज तो वसूला जा रहा है, लेकिन सुविधा किसी भी प्रकार की नहीं मिल रही है. कम से कम शौचालय की सुविधा तो मिलनी चाहिए. चोपता व्यापार संघ के अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी का कहना है कि कपाट बंद होते ही वन विभाग पर्यटकों से शुल्क वसूलना शुरू कर देता है, लेकिन पर्यटकों को सुविधा किसी भी प्रकार से नहीं दी जा रही है. चोपता-तुंगनाथ मार्ग पर शौचालय, पेयजल सहित कोई भी रेन शेल्टर नहीं है.

वन विभाग चोपता में तैनात कर्मचारी ने बताया कि 12 से 18 वर्ष के छात्र से 38 रुपये, 18 वर्ष से अधिक आयु के छात्र के लिए 75 रुपये, वरिष्ठ नागरिक के लिए भी 75 रुपये वसूला जाता है. इसके अलावा युवाओं से डेढ़ सौ रुपये और विदेशी पर्यटकों से 600 रुपये लिए जाते हैं. वन विभाग कर्मचारी का भी कहना है कि पर्यटकों को कोई सुविधा नहीं दी जाती है, लेकिन साफ सफाई के अलावा कोई पर्यटक फंस जाता है तो उसका रेस्क्यू किया जाता है.

Last Updated : Nov 24, 2022, 10:37 PM IST

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