उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

प्रकृति ने खुद किया है इस ताल का श्रृगांर, हो जाएंगे अभीभूत जब करेंगे दीदार

खूबसूरती के मामले में उत्तराखंड विदेशों को भी पछाड़ देता है. प्रकृति ने उत्तराखंड को इतना सुन्दर बनाया है कि ऐसी मिसाल किसी दूसरी जगह मिलना नामुमकिन है. यहां कई ऐसी प्रसिद्ध जगह हैं जो पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाई है.

rudraprayag
उत्तराखंड पर्यटन

By

Published : Jul 1, 2020, 6:27 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 6:32 PM IST

रुद्रप्रयाग:प्रकृति ने उत्तराखंड को इतना सुन्दर बनाया है कि ऐसी मिसाल किसी दूसरी जगह मिलना नामुमकिन है. यहां आज भी कई ऐसे पर्यटक स्थल मौजूद हैं, जो वर्षों से पर्यटन के क्षेत्र में पहचान नहीं बना पाये हैं. इन्हीं में से एक है पर्यटकों की नजर से ओझल प्रसिद्ध बधाणीताल. ये स्थान खूबसूरत होने के साथ ही धार्मिक मान्यता भी रखता है, आइये जानते हैं क्या है इस जगह की खासियत.

एक बार जरूर करें इस जगह का भी दीदार

बधाणीताल रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक के बांगर पट्टी में स्थित है और इस ताल का नाम बधाणी गांव के नाम से रखा गया है. कहा जाता है कि बधाणीताल में शिव-पार्वती विवाह के समय भगवान विष्णु ने भाई का दाायित्व निभाते हुए अपनी नाभि से बनाया था. यहां के जल कुण्ड में अनेक प्रकार की मछलियां पाई जाती है और पर्यटन की दृष्टि से यह जगह काफी महत्वपूर्ण है.

पढ़ें-आज है देवशयनी एकादशी, आज से 4 महीने के लिए योग निद्रा में जाएंगे भगवान विष्णु

देश-विदेश तक हो सकता है मशहूर

एक ओर प्रदेश सरकार पर्यटन क्षेत्रों को बढ़ावा देने और यहां के लोगों को रोजगार से जोड़ने की बात कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश की कुछ बेहद खूबसूरत जगहों को भूल भी गई है. उन्हीं में से एक है बधाणीताल. हालांकि, यहां पर कुछ गिने-चुने पर्यटक आते तो हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में वो ज्यादा समय तक यहां नहीं टिकते. सरकार की उदासीनता और देख-रेख के अभाव में बधाणीताल धीरे-धीरे अपने ऐतिहासिक पहचान खो रहा है. अगर सरकार इस क्षेत्र को विकसित करती है तो देश-विदेश से लौटे प्रवासियों के लिए ये क्षेत्र रोजगार का जरिया बन सकता है.

खूबसूरत ताल का जरूर करें दीदार

बधाणीताल स्थित इस ताल की खूबसूरती देखते ही बनती है. इस ताल में रंग-बिरंगी मछलियां पाई जाती हैं. यहां पर भगवान त्रियुगीनारायण का भव्य मंदिर भी विराजमान है. पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण से इस ताल में पानी निकला था. यह ताल ऐसी जगह पर विराजमान है, जहां जून महीने में पड़ने वाली भीषण गर्मी में भी रजाई का सहारा लेना पड़ता है. ताल के चारों ओर खुली-खुली पहाड़ियां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. वर्षभर यहां स्थानीय लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह पर्यटन स्थल अपनी पहचान नहीं बना पाया है. वहीं, आज तक इस ताल की गहराई को कोई नाप भी नहीं पाया है.

बैसाखी पर मेले का आयोजन

प्रत्येक वर्ष बैसाखी पर यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है. मेले में तमाम तरह की घोषणाएं ताल को लेकर की जाती हैं, लेकिन यह घोषणाएं धरातल पर नहीं उतर पाती हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर कई बड़े-बड़े मंत्री भी इस ताल को निहारने आ चुके हैं, यहां आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों का कहना कि यदि इस ताल का प्रचार-प्रसार किया जाए तो देश ही नहीं विदेशों से भी लोग इस अद्भुत नजारे का दीदार करने जरूर आएंगे.

Last Updated : Jul 17, 2020, 6:32 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details