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घोड़े-खच्चरों की मौत पर भड़के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, पशु अधिकारियों को जमकर लताड़ा

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Published : May 21, 2022, 6:04 PM IST

केदारनाथ मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की हो रही मौत पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भड़क उठे. रुद्रप्रयाग में उन्होंने चारधाम की व्यवस्थाओं को लेकर बैठक की. इस दौरान उन्होंने पशु अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई. उन्होंने दोषी घोड़ा-खच्चर मालिक और हाॅकर पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

Satpal Maharaj furious over the death of horses and mules
घोड़े-खच्चरों की मौत पर भड़के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज

रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा के तहत रुद्रप्रयाग पहुंचे ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पशु अधिकारियों को जमकर लताड़ा. उन्होंने कहा केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चर की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही घोड़े-खच्चरों को दफनाने की जगह, उन्हें मंदाकिनी नदी में प्रवाहित करने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने मामले में डीएम को सख्त से सख्त कार्रवाई करने को कहा है.

बता दें कि चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं की बैठक लेने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जिला सभागार रुद्रप्रयाग पहुंचे. बैठक में उन्होंने केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की हो रही मौत पर दुख जाहिर किया. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अब तक केदारनाथ पैदल मार्ग पर 50 से अधिक बेजुबान जानवरों की मौत हो गई है. यह बहुत ही दुखदायी है. इसके लिए दोषी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

घोड़े-खच्चरों की मौत पर भड़के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज.

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उन्होंने कहा यात्रा मार्ग पर जानवरों को मरने के लिए छोड़ा जा रहा है. पशु पालन विभाग के कर्मचारी घोड़े-खच्चरों का इलाज तक नहीं कर पा रहे हैं. जबकि घोड़ा-खच्चर मालिक व हाॅकर भी उनकी परवाह नहीं कर रहे हैं. मृत जानवरों को सीधे मंदाकिनी नदी में फेंका जा रहा है. इससे बड़ा दुख क्या हो सकता है. पर्यटन मंत्री ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि घोड़े-खच्चरों की मौत क्यों हो रही है और इसके लिए कौन दोषी है? इस बात का पता लगाया जाए और उन लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए.

उन्होंने कहा अगर इसके लिए हाॅकर और मालिक दोषी हैं, तो उन पर भी कार्रवाई की जाए. इसके अलावा सुलभ इंटरनेशनल के खिलाफ भी उन्होंने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए. सुलभ की ओर से मरे हुए घोड़े-खच्चरों को दफनाने की प्रक्रिया ना करते हुए सीधे मंदाकिनी नदी में प्रवाहित किया जा रहा है. इससे नदी भी मैली हो रही है और महामारी फैलने की भी आशंका बनी हुई है.

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