देहरादून/रुद्रप्रयाग/खटीमाःउत्तराखंड में मॉनसून की पहली बारिश ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. बीते रोज प्रदेशभर में झमाझम बारिश हुई. जिससे नदी नाले उफान पर आ गए. कई जगहों पर भूस्खलन हुआ तो कई जगहों पर बोल्डर आ गिरे. जिसमें तीन से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी. मौसम विभाग की मानें तो आज भी प्रदेश में भारी बारिश हो सकती है. ऐसे में लोगों को विशेष सावधानी बरतनी होगी.
उत्तराखंड मौसम विभाग (Uttarakhand Meteorological Department) के मुताबिक, आज भी राज्य के अनेक स्थानों में तेज बारिश होगी. खासकर उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ़ और देहरादून जिले में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है. वहीं, बारिश की वजह से नदी नाले उफान पर बह रहे हैं और जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है. जिसकी वजह से आवाजाही करना जोखिम भरा हो गया है. बीते रोज भी वाहनों पर बोल्डर गिरने से तीन तीर्थयात्रियों की मौत हो गई. जबकि, आठ से ज्यादा लोग घायल हो गए.
देहरादून की बात करें तो आज आमतौर पर बादल छाए रहेंगे. साथ ही बारिश की तेज बौछारें भी पड़ सकती हैं. वहीं, तापमान की बात करें तो आज प्रदेश में अधिकतम तापमान 30°C और न्यूनतम तापमान 23°C रहेगा. अगर बारिश की बात करें तो बीती रोज चल्थी में 27.5 (mm), मुखेम में 22.5 (mm), भगवानपुर में 20.0 (mm), नारसन में 19.5 (mm), चकराता में 19.0 (mm), लाखामंडल में 17.0 (mm) और मसूरी में 9.0 (mm) बारिश दर्ज की गई.
बरसात के दौरान बरतें ये सावधानियां-
1. मौसम पूर्वानुमान पर नजर रखें.
2. बरसात में नदी-नालों से दूर रहें.
3. नदियों और गदेरों में नहाने से परहेज करें.
4. बरसात के दौरान सड़कों पर सावधानीपूर्वक आवाजाही करें.
5. तेज बारिश या कोहरे में वाहनों की लाइटें ऑन रखें.
6. संवेदनशील पहाड़ी ढलानों पर जाने से बचें.
7. जलभराव की स्थिति में तालाब और पोखरों आदि से दूर रहें.
8. मॉनसून के दौरान भूस्खलन क्षेत्र से दूर रहें.
9. बिजली चमकने के दौरान पेड़ों से दूर रहें.
10. नदी का जलस्तर बढ़ने पर सुरक्षित स्थान पर चले जाएं.
11. यदि आपके घर गदेरे या नदी के पास हैं तो विशेष सतर्कता बरतें.
12. आपातकालीन नंबर को हमेशा अपने पास रखें.
13. अपने घर पर एक आपातकालीन किट तैयार रखें.
14. किसी भी आपात स्थिति में तत्काल सूचना कंट्रोल रूम को दें
अलकनंदा व मंदाकिनी किनारे बने घाट जलमग्नःनमामि गंगे योजना के तहत रुद्रप्रयाग में बनाए गए सभी घाट जलमग्न हो गए. ये घाट बरसाती सीजन में अलनकंदा व मंदाकिनी का जलस्तर बढ़ने पर डूब जाते हैं. शुरूआत में इनकी चमक को देखकर हर कोई व्यक्ति खिंचा चला गया, लेकिन मलबा व गंदगी फैले रहने से कोई भी अब यहां जाना पसंद नहीं करता है. कुल मिलाकर देखा जाए तो करोड़ों की लागत से बने ये घाट प्रशासनिक लापरवाही के कारण किसी काम के नहीं रह गए हैं. साफ तौर पर नमामि गंगे योजना के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है, ऐसा लोग आरोप लगाते हैं.