रुद्रप्रयाग: तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट बुधवार (चार नवंबर) को सुबह 11.30 बजे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु ने बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया और ढोल दमाऊ की थाप पर नृत्य किया.
विजय दशमी के पावन पर्व पर भगवान तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद करने की तिथि और समय निर्धारित की गई थी. इसी परम्परा के तहत बुधवार सुबह ब्रह्मबेला पर कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू की गयी. विद्वान आचार्यों, हक-हकूकधारियों और वेदपाठियों ने भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा-अर्चना कर जलाभिषेक किया. इसके बाद विशेष आरती की गई. ठीक दस बजे भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को चन्दन, भस्म, भृंगराज, पुष्प और अक्षत्र से समाधि दी गयी. इसके बाद 11 बजकर 30 मिनट पर भगवान तुंगनाथ के कपाट पौराणिक परम्पराओं और रीति-रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए.