रुद्रप्रयाग: जनपद के त्रियुगीनारायण गांव में भगवान शिव का भव्य मंदिर स्थापित है. इस मंदिर का नाम त्रियुगीनारायण मंदिर है. इस मंदिर को भगवान शिव और मांव पार्वती के विवाह के रूप में पहचाना जाता है. प्रत्येक वर्ष यहां कई जोड़े भगवान शिव और मां पार्वती को साक्षी मानकर विवाह के पवित्र बंधन में बंधते हैं. कहते हैं कि जिस अग्नि कुंड में भगवान शिव और मां पार्वती ने सात फेरे लिये थे, उस अग्नि में तब से लेकर आज तक निरंतर आग जलती आ रही है. इन दिनों लाखों की संख्या में भक्त भगवान त्रियुगीनारायण के दर्शन करने के लिये पहुंच रहे हैं, मगर यहां तक पहुंचने के लिए न तो सड़क सही हालत में है, और न ही यहां पार्किंग की उचित व्यवस्था है. जिसके कारण यहां पहुंचने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
बता दें भगवान विष्णु का त्रियुगीनारायण मंदिर केदारनाथ यात्रा के सबसे मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग से 12 किमी दूर त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर भगवान विष्णु के बामन अवतार का मंदिर है. त्रेता युग में इसी मंदिर में भगवान शिव और मां पार्वती ने भगवान विष्णु को साक्षी मानकर सात फेरे लिये थे. मंदिर में स्थित जिस अग्नि कुंड में भगवान शिव और मां पार्वती ने सात फेरे लिये थे, उस अग्नि कुंड में तब से लेकर अब तक अग्नि निरंतर प्रज्जवलित होती रहती है. कहते हैं कि यह अग्नि तब से लेकर आज तक कभी बुझी नहीं है.
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