रुद्रप्रयाग:देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे पौराणिक यात्रा मार्ग हैं, जिनको पुनर्जीवित करने के साथ ही उनका संरक्षण किया जाना जरूरी है. इन यात्रा मार्गों के जरिये पूर्व में लोग चारधामों की यात्रा किया करते थे. शासन-प्रशासन अब इन यात्रा मार्गों के संरक्षण को लेकर कार्रवाई कर रहा रहा है. बीते रोज पर्यटन विभाग के तत्वाधान में द ट्रैक हिमालया का 20 सदस्यीय दल पौराणिक रास्तों की खोज पर रवाना हो चुका है.
बता दें, करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक चारधामों में हर वर्ष देश-विदेश से तीर्थयात्री पहुंचते हैं. इनमें कुछ लोग वाहन के जरिये धामों को पहुंचते हैं, जबकि कई श्रद्धालु पैदल ट्रैकिंग (पैदल) करना पसंद करते हैं. इसके साथ ही मॉनसून सीजन पहाड़ी दरकने पर यात्रा मार्ग बंद हो जाती है, जिस कारण लोग समय से यात्रा नहीं कर पाते हैं. साथ ही आपदाएं भी पहाड़ों में ज्यादा आती हैं. ऐसे में शासन-प्रशासन की ओर से पौराणिक यात्रा मार्गों की तलाश की जा रही है. उनके सर्वेक्षण और उन्हें पुनर्जीवित करने को लेकर कार्य किया किया जा रहा है.
चारों धामों के दर्शन को प्रयुक्त होने वाले परंपरागत पौराणिक यात्रा मार्गों के सर्वेक्षण एवं पुनर्जीवित करने को लेकर पर्यटन विभाग के तत्वावधान में द ट्रैक हिमालया (The Track Himalaya) का 20 सदस्यों का दल 50 दिनों के भीतर में चारों धाम के अन्तर्गत 1250 किलोमीटर की दूरी तय करेगा.