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लॉकडाउन में लौटे युवाओं ने बदली गांव की सूरत, पैतृक गांव को बनाया टूरिस्ट डेस्टिनेशन - palakurali village became a tourist destination

विकासखण्ड जखोली की ग्राम पंचायत पालाकुराली के छह युवाओं ने मिलकर पहल टीम का गठन किया है. यह युवा पहाड़ की लोक परंपरा, धर्म, संस्कृति से जुड़ी आकृतियां गांव में उकेर रहे हैं. छह सदस्यीय टीम ने मंदिर, रास्तों के अलावा अन्य स्थानों पर दस से अधिक आकृतियां उकेरी हैं, जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

युवाओं ने बदली गांव की सूरत
युवाओं ने बदली गांव की सूरत

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Published : Feb 28, 2021, 3:46 PM IST

रुद्रप्रयाग: अगर आप भी पहाड़ के प्राकृतिक सौंदर्य, यहां की विरासत और धार्मिक परंपराओं से रूबरू होना चाहते हैं तो चले आइए विकासखंड जखोली के पालाकुराली गांव. यहां के युवाओं ने लाॅकडाउन के दौरान गांव को पहचान दिलाने के साथ ही पर्यटन व ट्रैकिंग को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं.

दीवारों पर उकेरी कलाकृति

गांव के कुछ युवाओं ने मिलकर पहल टीम का गठन किया है. यह टीम ट्रैकिंग, पहाड़ी कलाकृति आदि के जरिए गांव को अलग पहचान दिला रहे हैं. साथ ही स्वरोजगार की दिशा में भी लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं.

राज्य पक्षी मोनाल

विकासखण्ड जखोली की ग्राम पंचायत पालाकुराली के छह युवाओं ने मिलकर पहल टीम का गठन किया है. यह युवा पहाड़ की लोक परंपरा, धर्म, संस्कृति से जुड़ी आकृतियां गांव में उकेर रहे हैं. छह सदस्यीय टीम ने मंदिर, रास्तों के अलावा अन्य स्थानों पर दस से अधिक आकृतियां उकेरी हैं, जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इस अनूठे कार्य में अभी तक सात हजार रुपये से अधिक का खर्च हो चुका है.

वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊं

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कोरोना संक्रमण के बीच लगे लॉकडाउन में पालाकुराली के कई युवा गांव लौटे और स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के प्रयासों में जुट गए. पर्यटन व ट्रेकिंग को बढ़ावा देने के साथ ही इन युवाओं ने अपने पैतृक गांव को नई पहचान देने का काम किया है. इसके अलावा पहल नाम से छह सदस्यीय टीम गठित की है, जिसमें भूपेंद्र सिंह राणा, राजेश, अजय शंकर, शंभू, सुनील और दीपक शामिल हैं.

जल संरक्षण का संदेश

इन युवाओं ने गांव के नृसिंह मंदिर में आराध्य देवता की भव्य आकृति उकेरी है. साथ ही गांव के रास्ते में पांरपरिक वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊं, मंदिर की घंटिया, जंगल से कंडी में चारापत्ती लेकर लौटती महिला, लोक नृत्य करते ग्रामीणों के चित्र उकेरे हैं.

क्लासरूम में सौरमंडल की जानकारी देती तस्वीर

युवा भूपेंद्र ने बताया कि चित्रों को उकेरने के लिए रंग व अन्य सामग्री की खरीद पर अभी तक सात हजार से अधिक रुपये खर्च हो चुके हैं. यह धनराशि ग्रामीणों के सहयोग से प्राप्त हुई थी. उन्होंने बताया कि चिरबटिया, पंवालीकांठा समेत अन्य चित्र भी बनाए जाएंगे. साथ ही गांव के सभी मोहल्लों के रास्तों व गलियों में भी स्वच्छता व सुंदतरा, पर्यावरण संरक्षण, पर्यटन, एडवेंचर और धार्मिक महत्व के चित्र उकेरे जाएंगे.

बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ

युवाओं का कहना है कि उनका उदेश्य अपने गांव की लोक संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना है. रंग-रोगन व अन्य सामग्री की खरीद के लिए ग्रामीणों द्वारा उन्हें सहयोग किया गया है. सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. गुलाब सिंह राणा ने कहा कि युवाओं द्वारा गांव को नई पहचान देने का जो काम किया जा रहा है, वह सराहनीय है. साथ ही अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. वहीं, जिला पर्यटन व सहासिक खेल अधिकारी सुशील नौटियाल ने भी पालाकुराली के युवाओं के कार्य की सराहना की है.

नृसिंह देवता की तस्वीर

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