रुद्रप्रयाग: केदारनाथ आपदा के सात साल गुजर जाने के बाद श्री केदारनाथ मंदिर को अपना हक मिलने जा रहा है. बाबा की नगरी में ही बाबा केदारनाथ सात सालों से भूमि विहीन हैं. उत्तराखंड सरकार की पहल के बाद अब जिला प्रशासन ने 20.44 हेक्टेयर नाली भूमि बंदोबस्त के तहत राजस्व भूमि में दर्ज करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. यह भूमि वर्तमान में राज्य सरकार और वन विभाग के नक्शे में नहीं है.
केदारनाथ मंदिर सबसे बड़ा भूमिधर
वर्ष 2013 की आपदा से पहले केदारनाथ मंदिर केदारपुरी में सबसे बड़ा भूमिधर था. केदारपुरी में करीब 360 नाली भूमि में से अकेले श्री केदारनाथ मंदिर के नाम करीब 66 नाली भूमि थी. इस भूमि में 21 नाली खाता खतौनी संख्या आठ में संक्रमणीय अधिकार के तहत दर्ज है, जबकि 45 नाली भूमि नजूल/लीज ग्रांट की गई है.
सात साल बाद श्रीकेदार को मिलेगा मालिकाना. जारी है पुनर्निर्माण कार्य
आपदा के समय केदारपुरी में सबकुछ तहस-नहस हो गया था, जिसके बाद से धाम में तेजी से पुनर्निर्माण कार्य भी चल रहे हैं. मगर श्री केदारनाथ को उनका हक नहीं मिल पाया है. सात सालों से केदारनाथ में निर्माण कार्य किए जा रहे हैं और सबसे बड़े भूमिधर श्री केदारनाथ मंदिर को एक नाली भूमि पर भी अब तक जिला प्रशासन कब्जा नहीं दिला पाया है.
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भूमि का सीमांकन नहीं होने से केदारनाथ में भोग मंडी, पुजारी आवास, कर्मचारी आवास आदि का निर्माण नहीं हो पाया. मंदिर समिति वर्ष 2014 से केदारनाथ में किरायेदार बनकर यात्रा का संचालन कर रही है लेकिन मंदिर के नाम दर्ज भूमि का सीमांकन एवं कब्जा देने को लेकर सरकारी तंत्र मौन साधे हुए थे. सात साल गुजर जाने के बाद अब जिला प्रशासन की ओर से जमीन पर कब्जा देने की तैयारी हो रही है.
प्रदेश सरकार की अधिसूचना पर जिला प्रशासन ने केदारनाथ एवं लिनचैली के मध्य भूभाग का सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रियाओं का कार्य किया है, जिस पर ऊखीमठ तहसील के एसडीएम को सहायक अभिलेख अधिकारी के पद पर शासन ने नियुक्त किया है. केदारनाथ क्षेत्र में बंदोबस्ती के तहत धरातल पर सर्वे कराया गया. इसके अनुसार, 20.443 हेक्टेयर भूमि न ही राजस्व अभिलेखों में दर्ज है और न ही वन विभाग के खाते में है. इस भूमि का सर्वे कर टीम ने केदारनाथ का नया अभिलेख तैयार किया गया है.
आपदा के बाद बदल गया भूगोल
समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर 66 नाली भूमि का मालिक है, लेकिन 16 और 17 जून 2013 की आपदा में केदारपुरी में व्यापक तबाही हुई थी, जिससे वहां का भूगोल भी बदल गया था. मंदिर समेत तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों की सैकड़ों नाली भूमि और भवन सैलाब की भेंट चढ़ गए थे. मगर सात वर्ष बाद भी सरकारें और जिला प्रशासन की तरफ से केदारनाथ मंदिर के नाम दर्ज 66 नाली भूमि का सीमांकन कर कब्जा नहीं दिया गया है.
डीएम वंदना सिंह ने बताया कि रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. इससे संबंधित आदेश जारी होने के बाद इस भूमि को आपदा प्रभावित तीर्थपुरोहितों को दे दी जाएगी. डीएम ने बताया कि यह भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज होने से केदारनाथ में यात्रियों के लिए और बेहतर व्यवस्थाएं की जा सकेंगी. डीएम के मुताबिक केदारनाथ में अवैध निर्माण को लेकर सर्वे कराया जा रहा है, जो भी अवैध निर्माण होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.